कविता

लागी तुमसे लगन

ये बेकरारी है की लागी तुमसे है मन की लगन
ज्यों देखा तुम्हें दिल है बेकाबू मन में लागी अगन
सूरत तुम्हारी जैसे कोई खिलता हुआ गुलाब
फूलों से लदी डालियों जैसी तेरी कोमल बाहें
कोई ख्वाब सी अनकही जादु आंखे तुम्हारी
सजाऊँ जो बिखेर कर फूलों से राहें तुम्हारी
तेरे हिस्से के कांटों को चुन अपना दामन भर लूँ
लागी तुमसे है लगन सोनू आ तेरी मांग भर दूँ
चेहरा तुम्हारा खिलता हुआ कमल सुनहरा
उस पे काली घटाए ज्यों जुल्फों का पहरा
चंदन सा महकता हुआ कोमल नाजुक बदन
अधर हैं तुम्हारे जैसे खिलता हुआ कोई चमन
जब अठखेलियाँ हो जुल्फों से शरमाये बादल
ये अदा राज भी देखे तो हो जाएगा वो पागल
जैसे मुस्कुराकर खिलता हुआ फूल मेरे आंगन
ऐ मेरे हम नशीं लागी तुमसे है मन की लगन
ऐ सोनू!कलियों की तरह मुस्कुराती हुई शबनम
फूलों सी खिलखिलाती खुशियों का लम्हा सनम
— राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ” राज “

राजेन्द्र कुमार पाण्डेय "राज"

प्राचार्य सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बागबाहरा जिला-महासमुन्द ( छत्तीसगढ़ ) पिन कोड-493449 मोबाइल नम्बर-79744-09591