प्रसव के समय
माँ ने कहा-
प्रसव के समय
सबसे ज्यादा
दुःखी मैं थी,
तो पिता
सबसे ज्यादा खुश !
अब मैं
सबसे ज्यादा खुश
और पिता
सबसे ज्यादा दुःखी !
खुद की वैध आमदनी से
अधिक संपत्ति
अर्जित करनेवाले
और भ्रष्ट पद्धति से
संचय करनेवाले
‘मित्रो’ को
मैं घृणा की
नजरों से देखता हूँ !
सबने सोचा-
एक दिन आप
‘नाथ’ होंगे हमारे !
हुए भी,
किन्तु…..
हम सबको
‘अनाथ’ कर चले गए ?
आदमी सबकुछ
हो सकता है,
किन्तु अगर वह
इंसान न हुआ,
तो कुछ न हुआ वह !