लघुकथा – प्रदूषण
“पटाखों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।” एक सेकूलर बोला।
“क्यों?” मैंने पूछा।
“इनसे बहुत प्रदूषण फैलता है!” दूसरे सेकूलर ने जबाब दिया।
“क्या केवल दीपावली के पटाखे ही प्रदूषण फैलाते हैं? क्रिसमस, नये साल, ईद आदि के पटाखे प्रदूषण नहीं फैलाते?”
“वे अल्पसंख्यक हैं ! हम उनको नहीं रोक सकते।” पहला सेकूलर झेंपकर बोला।
“और बक़रीद पर जो लाखों जानवर काटकर उनका खून ज़मीन पर बहाया जाता है, उससे प्रदूषण फैलता है या नहीं?”
यह सवाल सुनते ही दोनों सेकूलर वहाँ से दुम दबाकर खिसक गये।
— डॉ. विजय कुमार सिंघल