दो बाल काव्यमय कथाएं
1. मीठी-मीठी बातों से सदा बचो
गीदड़ तीन देख हाथी को,
खाने को थे ललचाए,
बिना किसी तरकीब के हाथी,
बस में कैसे आ पाए?
गीदड़ गठरी लेकर धन की,
बोले, ”हाथी मामा जी,
नदी पार करके दिखलाओ,
बनवा देंगे पजामा जी.”
नदी पार करने को जैसे,
हाथी उतरा पानी में,
दलदल में फंसकर पछताया,
छला गया नादानी में.
फंसे हुए हाथी पर तीनों,
गीदड़ टूट पड़े थे,
मीठी बातों में हाथी को,
खोने प्राण पड़े थे.
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2. झूठा गड़ेरिया
भेड़ चराने वाला रामू,
करता था मनमानी,
एक बार मज़ाक करने की,
उसने मन में ठानी.
”आया भेड़िया मुझे बचाओ”,
कहकर वह चिल्लाया,
”जल्दी आकर मुझे बचाओ,
यहां भेड़िया आया.
लाठी लेकर लोग आ गए,
”कहां भेड़िया आया”,
”यहां भेड़िया कहीं नहीं है,
मैं यूं ही चिल्लाया”.
एक बार जब शेर आ धमका,
रामू खूब तब चिल्लाया,
झूठ समझकर कोई न आया,
शेर ने रामू को खाया.
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