चाँदी का छनोटा
आदमी सबकुछ बन सकता है,
सिवाय ‘आदमी’ बनने के !
‘चंद्रकांता’ की तरह उपन्यास लिखने हेतु एक प्रकाशक ने 37 लाख रुपये का एडवांस ऑफर दिया है, पर नई नॉवेल में सेलफोन का उपयोग हो। इसे कहते है, चाँदी के चम्मच लेकर पैदा होना, 9 वीं पढ़ा का उप मुख्यमंत्री बन जाना !
जबरजस्त, श्वानदार,, सत्या अनाश बधाई । जोड़- तोड़ से क्रिकेट तक पहुंचा दाल न गली, इंडियन टीम के लिए उनकी दाल पतली ही रही । वो तो रेल मंत्री पापा के कारण IPL तक पहुँच सका था । पंजाब में छोटका बादल भी चाँदी का छनोटा लेकर पैदा हुए थे, यानी ……मौसेरे भाई। एक भी टीचर अगर चुनाव जीत लेता, तो 9 वीं तक पढ़ा किरदार की नौबत तक नहीं आती।
इस जन अदालत में जनता को अल्पायु पढ़ा पर ही भरोसा जागा, तो का फायदा ‘बेटवा पढ़ाओ, बेटवा बचाओ ‘ ! हाय री किस्मत, अ. बा. सिद्दीकी साहेब फ़ुस्सल तकदीर, वित्त मंत्री यानी घपला और गाज़ गिरने की संभावना बरोबर।
नीतीश बाबा और सिद्दीकी बाबा दोनों का डिमोशन साथ-साथ । जोड़ – तोड़ से उम्र पूरा किये तेज़स्वी बड़ा भाई हो गए । तेजप्रताप कार्तिक देवता की तरह शिव पापा से ठगा गए । दुर्बल तेजप्रताप स्वास्थ्य मंत्री बनाये । चलिए युवा चेहरा तो है , कुंवारा भालो बासा है, पलक हुलसाये दूल्हा…।
देखते जाईये , परदा तो अभी उठा ही है …. हम- आप नेपथ्य में चलते है ….सूत्रधार अब आकाशवाणी करने वाला है, साव…. धान माननीय …..जी जी जी जी पधार रहे है। आगामी 5 साल तक इसी में एन्जॉय करना है । ढोकला और धक्का साथ – साथ खाना है । जय बिहार।