हमको मुक्ति दिला जाओ
उल्लू जी, तुम आ जाओ,
आके चूहा खा जाओ,
बहुत सताया है चूहे ने,
आके मुक्ति दिला जाओ.
रोज रात को आता है वह,
सेव हमारे खा जाता,
कभी-कभी केले पर भी है,
अपना कमाल दिखा जाता.
चूहेदानी नई-नई है,
पर वह है चालाक बड़ा,
फंसना उसको नहीं गवारा,
है भी वो खासा तगड़ा.
तुम तो निशाचर हो उल्लू जी,
वह भी निशाचर बना हुआ,
उसका उल्लू सीधा कर दो,
क्यों है इतना तना हुआ!
तुम तो चूहे खाने वाले,
इसीलिए तुम्हें कहते हैं,
आकर उसे दबोचो झटपट,
राह तुम्हारी तकते हैं.
आंखें तुम्हारी बड़ी-बड़ी हैं,
देखो कहां छिपा बैठा,
गर्दन पूरी घुमाकर देखो,
किसके दम पर है ऐंठा!
सुनते हैं बुद्धिमान बड़े हो,
इतना-सा तो कर दो काम,
खाने को मूषक मिल जाएगा,
अखबारों में छपेगा नाम.
एक बार फिर कहते हैं हम,
उल्लू जी, अब आ जाओ,
चूहा खाकार भूख मिटाओ,
हमको मुक्ति दिला जाओ.
उल्लू की तीन पलकें होती हैं।
उल्लू की तीन पलकें होती हैं। पहली पलक को वो झपकाने के लिए, दूसरी पलक को नींद के लिए और तीसरी पलक को उल्लू आंख साफ करने के लिए इस्तेमाल करता है।
उल्लू अपनी गर्दन तीन सौ साठ डिग्री तक घुमा सकता है. खास बात यह भी है कि ऐसा करने में उसकी गर्दन के रास्ते मस्तिष्क तक जाने वाली एक भी रक्त वाहिका को कोई नुकसान नहीं पहुंचता.
पता नहीं क्यों उल्लू को मूर्खता का प्रतीक क्यों माना जाता है?
उल्लू एक ऐसा पक्षी है जिसे दिन की अपेक्षा रात में अधिक स्पष्ट दिखाई देता है. यह अपनी गर्दन पूरी घुमा सकता है. इसके कान बेहद संवेदनशील होते हैं. रात में जब इसका कोई शिकार (जानवर) थोड़ी-सी भी हरकत करता है तो इसे पता चल जाता है और यह उसे दबोच लेता है. इसके पैरों में टेढ़े नाखूनों-वाली चार-चार उंगलियां होती हैं, जिससे इसे शिकार को दबोचने में विशेष सुविधा मिलती है. चूहे इसका विशेष भोजन हैं. उल्लू लगभग संसार के सभी भागों में पाया जाता है. बड़ी आंखें बुद्धिमान व्यक्ति की निशानी होती है और इसलिए उल्लू को बुद्धिमान माना जाता है. शायद इसलिए उल्लू को मूर्खता का प्रतीक माना जाता है, कि शेष सभी प्राणी दिन में देख सकते हैं, पर उल्लू जैसे रात के पक्षी (Nocturnal Birds) उन सबके विपरीत रात में ही देख सकते हैं.