ग़ज़ल
अपनी आंखों पे चश्मा लगाया करो
नज़र हम से यूं ना मिलाया करो।
हम हो जाते हैं खुद से बेखबर
हां इतने नजदीक मेरे न आया करो।
कर दे ना दुनिया ये रुसवा हमें
बात दिलकी न होंठों पे लाया करो।
हम तुम्हारे हैं इससे न इनकार है
बस नाम लेकर न मेरा बुलाया करो ।
छेड़ कर तुम तराना कोई प्यार का
भरी महफ़िल में यूं ना सताया करो।
राह में साथ जानिब कोई देख ले
बन के अंजान तुम गुजर जाया करो ।
— पावनी