गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

अपनी आंखों पे चश्मा लगाया करो
नज़र हम से यूं ना मिलाया करो।

हम हो जाते हैं खुद से बेखबर
हां इतने नजदीक मेरे न आया करो।

कर दे ना दुनिया ये रुसवा हमें
बात दिलकी न होंठों पे लाया करो।

हम तुम्हारे हैं इससे न इनकार है
बस नाम लेकर न मेरा बुलाया करो ।

छेड़ कर तुम तराना कोई प्यार का
भरी महफ़िल में यूं ना सताया करो।

राह में साथ जानिब कोई देख ले
बन के अंजान तुम गुजर जाया करो ।

— पावनी

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर