अच्छी सी नौकरी करना!!!
सब अच्छी सी नौकरी करने वाले बनेंगे तो अच्छी नौकरी देगा कौन – हमें नौकरी ढूंढने वाला नहीं नौकरी देने वाला बनना है, सराहनीय सोच – एड किशन भावनानी
गोंदिया – भारत में रोज़ हम प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर अनेक विज्ञापन देखते, सुनते पढ़ते हैं और ठीक भी है। क्योंकि यह ऐसे मीडिया प्लेटफार्म हैं जो हमें जानकारी, मनोरंजन व सुविधाएं प्रदान करते हैं परंतु इन्हें चलाने के लिए मनीराम, धनीराम की भी ज़रूरत होती है जिसकी पूर्ति विज्ञापनदाता करते हैं। साथियों आजकल हम देखते हैं कि इन सोशल मीडिया का उपयोग विज्ञापनदाता के रूप में केंद्र राज्य सरकार केंद्र शासित प्रदेश सहित अनेक राजनीतिक पार्टियां भी करती है, जो अपने द्वारा किए गए या किए जाने वाले कार्यों को दर्शाते हैं ताकि जनता को जानकारी हासिल हो सके कि वह पार्टी या सरकार जनहित में कितने कार्य कर रहे हैं। साथियों बड़े बुजुर्गों का कहना है कि बुद्धिमानी इसमें है कि बिना हमारे मतलब की बात में से भी सकारात्मक मतलब निकालना और हज़ार बुराइयों में से भी सव अच्छाइयां उठाना कुशल मानवीय बुद्धि का परिचय है। हालांकि हम मे से अनेक लोग ऐसे विज्ञापन आते ही उसे फॉरवर्ड या बंद कर देते हैं, हालांकि यह कमर्शियल एवं अपना और अपनी वस्तुओं का मात्र प्रचार-प्रसार ही है परंतु इनमें भी अनेक अच्छी और अपने तथा देश का जीवनस्तर सुधारने, नवाचार, रोजगार उत्पन्न करने, खुद को और देश को ज्ञानवर्धक बनाने के गुण भी मौजूद होते हैं, जिनको हम को उठाना है। साथियों हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया टीवी चैनलों पर एक विज्ञापन रोज़ अनेक बार देखते हैं कि, अच्छी सी नौकरी करना, जो विचार पीढ़ियों से अगली पीढ़ियों में डालते हुए दिखातें हैं। परंतु यहां एक नई सोच उभर कर आती है कि,, अगर हम अच्छी सी नौकरी करने वालें बनेंगे तो अच्छी नौकरी देगा कौन ?? हमें नौकरी ढूंढने वाला नहीं नौकरी देने वाला बनना है। वाह!! क्या बात है!! बस!! यही सोच हमारे देश को शीघ्र ही आत्मनिर्भर देश बनाने में सटीक साबित होगी!! हमारे विजन 2047 को डेडलाइन से पूर्व ही अंजाम तक पहुंचाएगी!! तथा यही सोच हमें 5 ट्रिलियन डॉलर से 10-15 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचाने में मदद करेगी। साथियों बात अगर हम नौकरी चाहने वालों की करें तो हम देखकर स्तब्ध रहते हैं कि करीब करीब एक हज़ार नौकरियों को की रिक्रूटमेंट के लिए एक लाख से अधिक आवेदन आते हैं!! हम कई बार इस प्रकार की रिपोर्ट प्रिंट मीडिया में पढ़ते रहते हैं। मेरा मानना है यह स्थिति करीब-करीब हर राज्य में है जिसे बदलने के लिए हम सबका एक साथ आकर इस तथ्यपर चिंतनीय गहन, मनन चिंतन करना होगा, और कौशल विकास रूपी चाबी पर बहुत अधिक ध्यान देकर हमें नौकरी करने या ढूंढने वाला नहीं नौकरी देने वाला बनना है!! इस सोच की ओर कदम बढ़ाने होंगे। ऐसा तात्कालिक संकल्प लेना होगा। साथियों बात अगर हम 75 वें अमृत महोत्सव की करें तो यही बात, यही सोच इसका मूल मुद्दा है कि, हमें कौशल का विकास को अपनाकर नौकरी करने वाला नहीं नौकरी देने वाला बनना है। हम रोज हर मंत्रालय स्तर पर देखते हैं कि स्वतंत्रता के 75 में अमृत महोत्सव के उपलक्ष में दो पांच या सात दिवसीय वेबनार, सम्मेलन, सांगोष्ठियों आयोजित की जा रही है। साथियों इसका मूल आधार ही कौशलता विकास है तथा भारत को शीघ्र आत्मनिर्भर बनाना, 2047 के लक्ष्यों को हासिल करना हैं। छोटे से सरकारी विज्ञापन से हमें इतने बड़े लक्ष्य को पूरा करने में विशाल सफलता अर्जित होगी अगर भारत का हर नागरिक इस तरह के छोटे-छोटे विज्ञापनों से सीखकर उसे अपने जीवन में ढालने की कोशिश करें तो हम शीघ्र ही आत्मनिर्भर भारत बनाकर और देश को वैश्विक लीडर बनाने में शीघ्र कामयाब होंगे। साथियों बात अगर हम इसके लिए रणनीतिक रोडमैप बनाने की करें तो इसके लिए हमारे युवाओं का कौशल विकास इस तरह करना शुरू भी है कि, युवाओं को हर क्षेत्र में शिक्षा, कृषि, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, परिवहन, वाणिज्य, इत्यादि अनेक क्षेत्रों में ट्रेनिंग इस तरह दी जा रही है।हमारे केंद्रीय मंत्रालय में अलग से कौशल विकास मंत्रालय का गठन भी किया गया है और कौशल विकास पर फोकस किया जा रहा है याने देश में ऐसे नौजवानों को तैयार किया जा रहा है, जिसको कभी किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा यनें वे अब नौकरी ढूंढने वाले नहीं नौकरी देने वाले बनेंगे। यही बात हमारे देश के पीएम ने आज से करीब साढे 4 वर्ष पूर्व 11 सितंबर 2017 को शिकागो में स्वामी विवेकानंद के भाषण की 125 वीं वर्षगांठ पर अपने संबोधन में कही थी।साथियों बात अगर हम अच्छी सी नौकरी देने वाला बनने में शासकीय प्रशासकीय सहयोग की करें तो इसके लिए केंद्र सरकार की अनेक योजनाएं हैं जैसे (1) पीएम मुद्रा लोन (2) स्टैंडअप इंडिया योजना (3) एमएसएमई लोन योजना (4) स्वनिधि योजना, सहित इस प्रकार की अनेक योजनाएं हैं जो बेरोजगारी को स्वयं का व्यापार ढांचा खड़ा करने में काफी मददगार सिद्ध होसकती है। साथियों बात अगर हम कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा दिनांक 30 नवंबर 2021 को जारी पीआईबी की करें तो, स्किल इंडिया ने रेहड़ी पटरी वाले विक्रेताओं को ई-कार्ट लाइसेंस प्राप्त करने के योग्य बनाने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया हैं अपनी प्रमुख योजना के इस चरण में 2500 विक्रेताओं को योग्य बनाने का लक्ष्य रखा। रेहड़ी पटरी वाले विक्रेताओं के आचरण और व्यवहार से ही संबंधित शहरों की पहचान होती है, इसलिए, उनका कौशल विकसित करना अनिवार्य है। असंगठित क्षेत्र को औपचारिक रूप देने और रेहड़ी पटरी वाले विक्रेताओं को बेहतर बनाने के प्रयास में, एमएसडीई ने पूर्वी दिल्ली के रेहड़ी-पटरी वालों को कुशल और ई-कार्ट लाइसेंस के योग्य बनाने के लिए, भोजन तैयार करने और बिक्री के व्यवसाय में सुंदरता तथा स्वच्छता की स्थिति में सुधार करने की घोषणा की। इस पहल को पीएम कौशल विकास योजना 3.0 के पहले की सीख को मान्यता देने के घटक के तहत लागू किया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्ट्रीट फूड विक्रेताओं कोप्रासंगिक कौशल प्रदान करना, उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करना, विक्रेताओं को राजस्व सृजन के लिए अधिक अवसर प्रदान करना स्थानीय निकायों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के बदले में नियमों और निर्धारित नियमों के बारे में जागरूकता पैदा करना है। पूर्वी ईडीएमसी के साथ अपने प्रायोगिक चरण में, स्किल इंडिया का लक्ष्य 23 से 55 वर्ष की आयु वर्ग के 2,500 विक्रेताओं को कौशल प्रदान करना है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अगर सब अच्छी सी नौकरी करने वाले बनेंगे तो अच्छी नौकरी देगा कौन?? इसलिए हमें नौकरी ढूंढने वाला नहीं नौकरी देने वाला बनना है। यह सोच सराहनीय है इसका क्रियान्वयन करना तात्कालिक ज़रूरी है।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र