आतंक
आंतंक का कोई जात नहीं
आतंक से कोई संवाद नही
जहाँ भी मिल जाये आतंकी
कर दो काम तमाम वहीं
आतंक का कोई जमात नहीं
आतंकी पर कोई विश्वास नहीं
जहाँ भी मिल जाये आतंकी
कर दो काम तमाम वहीं
आतंक का कोई सम्मान नहीं
आतंकी जग में महान नही
जहाँ भी मिल जाये आतंकी
कर दो काम तमाम वहीं
आतंक का कोई बखान नहीं
आतंकी सा कोई नादान नहीं
जहाँ भी मिल जाये आतंकी
कर दो काम तमाम वहीं
आतंक का कोई ईमान नहीं
आतंकी सा कोई शैतान नहीं
जहाँ भी मिल जाये आतंकी
कर दो काम तमाम वहीं
आतंक सा कोई बदनाम नहीं
आतंकी का कोई भला काम नहीं
जहाँ भी मिल जाये आतंकी
कर दो काम तमाम वहीं
— उदय किशोर साह