कविता

नया साल

जिंदगी का एक वर्ष और गुजर गया
कुछ मीठी कुछ खट्टी यादें छोड़ गया
वैसे तो जिंदगी एक वर्ष कम हो गई
जाते जाते अनुभवों की लिस्ट कुछ लंबी कर गई
जैसे भी गुजरी गुजर गई
इंतजार अब इसकी अगली कड़ी का
कुछ खुशनुमा ख़वाब लेकर
चलो बढ़ते नए साल की ओर
दुख दुख के हिंडोले पर चढ़
जोड़ते हुए नए अनुभव
खुशनुमा बनाते हैं जिंदगी को

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020