सामाजिक

ऑनलाइन गेमिंग से बच्चों को मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक समस्याएँ

वर्तमान प्रौद्योगिकी और डिजिटल युग में अत्यंत तीव्रता से एक नए भारत की ओर बढ़ रहे हमारे देश पर हमें गर्व है। साथियों लगभग हर क्षेत्र में मानवीय शारीरिक श्रम को आधुनिक प्रौद्योगिकी की सहायता से कंप्यूटर, रोबोट, विभिन्न एप्स की भाषा में तब्दील कर घंटों का काम सेकंडों में करने की राह तेजी पकड़ती जा रही है, और हम तेजी से एक नए भारत की ओर बढ़ रहे हैं इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि हम विज़न 2047 को अपने टारगेट के कई साल पहले ही प्राप्त कर लेंगे। साथियों बात अगर हम तीव्र गति से प्रौद्योगिकी विकास की करें तो बड़े बुजुर्गों का कहना है रजाई जितनी पानी में भीगेगी उतनी ही भारी होती जाएगी बिल्कुल ठीक!!! साथियों बड़े बुजुर्गों द्वारा कहे एक एक शब्द सत्य साबित होते हैं यही बात!!! यही बात हमें इस आधुनिक प्रौद्योगिकी में भी देखनी होगी कि जितनी हम सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं उनके कुछ साइड इफेक्टस भी होते हैं, जिनकी अत्यंत सूक्ष्मता से हमें सावधानी भी बरतनी होगी। साथियों बात अगर हम इस नई प्रौद्योगिकी के बच्चों पर प्रभाव की करें तो आज के युग में हम देख रहे हैं कि बच्चों के हाथ में मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर की आदत तीव्रता से बढ़ गई है। क्योंकि महामारी के प्रकोप से लॉकडाउन और स्कूल बंद के कारण ऑनलाइन क्लासेस से इसकी ज़रूरत और आदत दोनों बढ़ गई है। जिसका खाली समय में प्रयोग में अक्सर ऑनलाइन गेमिंग, अन्य गेम अश्लीलता के कुछ अंश इत्यादि का क्रेज बढ़ गया है, जिसकी ओर हम सभी अभिभावकों, माता-पिता, शिक्षकों को इस दिशा में तेज़ी से ध्यान देखकर अतिकठोर सावधानी बरतना होगा ताकि हमारे कल के भविष्य बच्चों को आत्म संयमता का मंत्र देकर हम उनका भविष्य सुरक्षित कर सकें साथियों बात अगर हम दिनांक 10 दिसंबर 2021को शिक्षा मंत्रालय द्वारा बच्चों के सुरक्षित ऑनलाइन गेमिंग पर माता-पिता और शिक्षकों के लिए परामर्श जारी करने की करें तो पीआईबी के अनुसार यह परामर्श माता-पिता और शिक्षकों को व्यापक प्रसार के उद्देश्य से दिया गया है और ऑनलाइन गेमिंग की वजह से बच्चों में होने वाली मानसिक एवं शारीरिक समस्याओं से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाने के बारे में शिक्षित करता है। क्या न करें – 1) माता-पिता की सहमति के बिना गेम खरीदारी कीअनुमति न दें। ऐप खरीदारी से बचना चाहिए, आरबीआई के दिशा -निर्देशों के अनुसार ओटीपी आधारित भुगतान विधियों को अपनाया जा सकता है। 2) ऐप्स पर सदस्यता के लिए क्रेडिट/डेबिट कार्ड पंजीकरण से बचें। हर लेन-देन की व्यय की ऊपरी सीमा निर्धारित करें। 3) बच्चों को गेमिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले लैपटॉप या मोबाइल से सीधे खरीदारी न करने दें। 4) बच्चों को अज्ञात वेबसाइटों से सॉफ्टवेयर और गेम डाउनलोड न करने की सलाह दें। 5) उन्हें वेबसाइटों पर लिंक, इमेज और पॉप-अप पर क्लिक करने से सावधान रहने के लिए कहें, क्योंकि उनमें वायरस हो सकता है और कंप्यूटर को नुकसान हो सकता है, और इसमें आयु के अनुसार अनुचित सामग्री भी मौजूद हो सकती है। 6) उन्हें सलाह दें कि गेम डाउनलोड करते समय इंटरनेट पर व्यक्तिगत जानकारी प्रेषित न करें। 7) उन्हें कभी भी गेम और गेमिंग प्रोफ़ाइल पर लोगों के साथ व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए। 8) उन्हें वेब कैम, निजी संदेश या ऑनलाइन चैट के माध्यम से वयस्कों सहित अजनबियों के साथ संवाद न करने की सलाह दें, क्योंकि इससे ऑनलाइन दुर्व्यवहार करने वालों, या अन्य प्लेयर्स द्वारा धमकाने के बारे में संपर्क का जोखिम बढ़ जाता है। 9) स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं और उसकी लत लगने के मद्देनजर गेम को बिना रुके लंबे समय तक खेलने से बचने की सलाह दें।,,क्या करें- 1) ऑनलाइन गेम खेलते समय, अगर कुछ गलत हुआ है, तो तुरंत रुकें और एक स्क्रीनशॉट लें (कीबोर्ड पर प्रिंट स्क्रीन बटन का उपयोग करके) और इसकी रिपोर्ट करें। 2) अपने बच्चे की उनकी ऑनलाइन गोपनीयता की रक्षा करने में मदद करें, उन्हें एक स्क्रीन नाम (अवतार) का उपयोग करने के लिए कहें, जो उनके वास्तविक नाम को प्रकट नहीं करता है। 3) एंटीवायरस/स्पाइवेयर प्रोग्राम का उपयोग करें और फ़ायरवॉल का उपयोग करके वेब ब्राउज़र को सुरक्षित रूप से कॉन्फ़िगर करें। 4) डिवाइस पर या ऐप या ब्राउज़र पर माता-पिता के नियंत्रण और सुरक्षा सुविधाओं को सक्रिय करें क्योंकि यह कुछ सामग्री तक पहुंच को प्रतिबंधित करने और गेम खरीदारी पर खर्च को सीमित करने में मदद करता है। 5) यदि कोई अजनबी किसी अनुचित चीज़ के बारे में बातचीत शुरू करने का प्रयास करता है या व्यक्तिगत जानकारी का अनुरोध करता है तो इसके बारे में सूचित करें। 6) आपका बच्चा जो भी गेम खेल रहा है उसकी आयु रेटिंग जांचें। 7) बुलीइंग के मामले में, प्रतिक्रिया न देने के लिए प्रोत्साहित करें और परेशान करने वाले संदेशों का रिकॉर्ड रखें और गेम साइट व्यवस्थापक को व्यवहार की रिपोर्ट करें/ब्लॉक करें, उस व्यक्ति को उनकी खिलाड़ियों की सूची से म्यूट या ‘अनफ्रेंड’ करें, या इन-गेम चैट प्रक्रिया बंद करें।8) अपने बच्चे के साथ गेम खेलें और बेहतर तरीके से समझें कि वे अपनी व्यक्तिगत जानकारी को कैसे संभाल रहे हैं और वे किसके साथ संवाद कर रहे हैं। 9) अपने बच्चे को यह समझने में सहायता करें कि ऑनलाइन गेम में कुछ सुविधाओं का उपयोग अधिक खेलने और खर्च को प्रोत्साहित करने के लिए किया जाता है। उनसे जुए के बारे में बात करें, यह क्या है और ऑनलाइन एवं वास्तविक दुनिया में इसके परिणाम क्या हैं। 10) हमेशा सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा पारिवारिक स्थान पर रखे कंप्यूटर से इंटरनेट का उपयोग करे।,, निम्नलिखित व्यवहारों के लिए सजग रहें- 1) असामान्य रूप से गुप्त व्यवहार, अधिकतर उनकी ऑनलाइन गतिविधि से संबंधित। 2) उनके द्वारा ऑनलाइन खर्च किए जाने वाले समय में अचानक वृद्धि, विशेष रूप से सोशल मीडिया पर। 3) उनके पास जाने पर वे अपने डिवाइस पर स्क्रीन बदलते प्रतीत होते हैं। 4) इंटरनेट का उपयोग करने या पाठ संदेश भेजने के बाद, वे पीछे हट जाते हैं या क्रोधित हो जाते हैं। 5) उनके डिवाइस में अचानक कई नए फ़ोन नंबर और ई-मेल संपर्क आ गए हैं। 6) घर पर इंटरनेट गेटवे स्थापित करें जिसमें बच्चों द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री की निगरानी, लॉगिंग और नियंत्रण जैसी सुविधाएं हों। 7) शिक्षकों को छात्रों के गिरते ग्रेड और सामाजिक व्यवहार पर नजर रखने की जरूरत है।8) यदि शिक्षक कुछ ऐसा देखते हैं जो संदिग्ध या खतरनाक लग सकता है,तो उन्हें तुरंत स्कूलअधिकारियों को सूचित करना चाहिए। 9) शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को समय-समय पर इंटरनेट के फायदे और नुकसान के बारे में जागरूक किया जाए। 10) शिक्षकों को वेब ब्राउज़र और वेब एप्लिकेशन के सुरक्षित कॉन्फ़िगरेशन के लिए छात्रों को प्रशिक्षित करना चाहिए। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे के प्रौद्योगिकी के नए युग में नेट चुनौतियों से भारत के भविष्य बच्चों को सुरक्षित करने माता-पिता व शिक्षकों को आवश्यक कदम उठाना ज़रूरी है।

*संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया