दहेज़
“बहुत ही बढ़िया पैसे वाला घर है। लड़की भी सुन्दर और सुशील है। आप एक बार हामी तो भरो!” ससुर जी अपने चचेरे भाई के बेटे के लिए लड़की बता रहे थे।
“वो सब तो ठीक है भाई साहिब! आपकी मीनल जैसी लड़की हो, वो बतलाइए!” कभी किसी दूसरे को अहमियत न देने वाली चाची जी कनखी नजर से, रसोई में काम करती हुई जेठ जी की नई नवेली बहू को देखते हुए बोलीं ।
“यह बात तो आपने सही कही! पैसा मिलना तो आसान है, पर संस्कारों का दहेज़ कोई कोई ही लाता है।” अपनी बहू की तरफ़ देखते हुए ससुर जी भी गर्व से मुस्कुरा उठे।
अंजु गुप्ता