फूल (पुष्प-सुमन)
इन्हें फूल (मूर्ख) न कहो, बहुत बुद्धिमान हैं ये,
महकता-चहकता स्वाभिमान हैं ये,
इनकी भाव-प्रवणता का जवाब नहीं,
आनंद के आगार, प्रभु का वरदान हैं ये.
जी भर महक लुटाते हैं ये,
तनिक भी नहीं इतराते हैं ये,
कोमल हैं कमजोर नहीं हैं,
स्नेह से सबको सिखाते हैं ये.