कविता

/ खिडकी /

वह बस की खिड़की के पास की सीट में
आराम से लेट गया
बस तेज दौड़ने लगी
बाहर की दुनिया में
जनता चादर में थाह भरते हुए
कल की रवि किरण पर विश्वास रखकर
अपने आप अनायास
निद्रा में चले गये
उसने खिडकी खोला
ठंडी हवा की झोंक में
सारी देह ठंड पड़ने लगीं
आस – पास की सवारियों का
कई बार सवारी ने
खिड़की बंद करने का
अनुरोध करते आये
तैयार नहीं था वह
किसी की बात को सुनने का
हकदार समझने लगा
उस खिडकी का वह
परवाह नहीं है उसे किसी का
दुःख व दर्द इस समय
सिकुड़ती उस ठंड में
उसकी अपनी अनुभूति है।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।