/ खिडकी /
वह बस की खिड़की के पास की सीट में
आराम से लेट गया
बस तेज दौड़ने लगी
बाहर की दुनिया में
जनता चादर में थाह भरते हुए
कल की रवि किरण पर विश्वास रखकर
अपने आप अनायास
निद्रा में चले गये
उसने खिडकी खोला
ठंडी हवा की झोंक में
सारी देह ठंड पड़ने लगीं
आस – पास की सवारियों का
कई बार सवारी ने
खिड़की बंद करने का
अनुरोध करते आये
तैयार नहीं था वह
किसी की बात को सुनने का
हकदार समझने लगा
उस खिडकी का वह
परवाह नहीं है उसे किसी का
दुःख व दर्द इस समय
सिकुड़ती उस ठंड में
उसकी अपनी अनुभूति है।