पुस्तक समीक्षा

रंग-बिरंगी काव्य किरणें

‘रश्मि अनन्त’ रवीन्द्र नाथ सिंह के सम्पादन में निकला हुआ काव्य संग्रह है, जिसमें 39 कवियों की उत्कृष्ट रचनाओं को संग्रहीत करके न केवल साहित्य को समृद्ध किया गया है, बल्कि संग्रह में सम्मिलित रचनाकारों को भी प्रोत्साहित किया गया है।
रचनाओं की चर्चा करें तो जिस प्रकार सूर्य अपनी सतरंगी किरणों से विश्व को सम्मोहित करता है, उसी प्रकार विविध विषयों पर रची गयी इस संग्रह की कविताएँ काव्य प्रेमियों के मन को मोहित करने में सक्षम हैं।
संग्रह की अधिकांश रचनाएँ अच्छी कही जा सकती हैं, और उनमें भी कई बहुत ही अच्छी हैं। सामान्यतया ऐसे संग्रहों में कई घटिया स्तरहीन कवितायें भी शामिल हो जाती हैं, लेकिन यहाँ ऐसी बात नहीं है। एकाध को छोड़कर सभी रचनायें स्तरीय हैं और रचनाकारों की प्रतिभा के साथ न्याय करती हैं। इसका कारण यह भी हो सकता है कि इस संग्रह में शामिल रचनाकारों में से अधिकांश स्थापित रचनाकार हैं। इसलिए उनकी रचनाओं में परिपक्वता होना पूर्णतः स्वाभाविक है।
संग्रह में प्रत्येक रचनाकार के परिचय और फोटो के साथ उनकी रचनाओं को 6 या 7 पृष्ठ दिये गये हैं, जो सराहनीय है, क्योंकि अधिकांश संग्रहों में दो-तीन पृष्ठ देकर रचनाकारों को उपकृत करने का प्रयास किया जाता है।
रचनाओं की विविधता भी दृष्टव्य है। साधारण अतुकान्त कविताओं की तो अधिकता है, लेकिन उनके अलावा गीत, गजल, छंद आदि तुकान्त रचनाएँ भी बहुत हैं, जिनको पढ़कर अच्छा लगता है। उदाहरण के लिए डॉ. पूजा कौशिक की यह गजल पढ़कर मन प्रफुल्लित हो गया-
”निगाहें किस तरह देखें हसीं जलवों की रौनक को।
तुम्हीं को देखने से बस हमें फुर्सत नहीं मिलती।।“
इस संग्रह का प्रकाशन सोशल एण्ड मोटिवेशनल ट्रस्ट ने किया है और यह इनका पहला साहित्यिक प्रयास है। इसके लिए ममता सिंह की जितनी प्रशंसा की जाये कम है।
संग्रह की सभी रचनायें यूनीकोड फॉण्ट में छापी गयी हैं। इसका कारण यह हो सकता है कि उन्हें रचनाएँ ऑन-लाइन प्राप्त हुई हों और फॉण्ट बदलने का प्रयास न किया गया हो। यदि किसी सामान्य फॉण्ट में छापा जाता, तो शायद पृष्ठ संख्या कम हो जाती। वैसे छपाई अच्छी है। प्रूफ की गलतियाँ यत्र-तत्र रह गयी हैं। पुस्तक का मूल्य भी उचित है। कुल मिलाकर यह एक सफल प्रयास है।

— डॉ. विजय कुमार सिंघल

पुस्तक : ‘रश्मि अनन्त’ (साझा काव्य संग्रह)
सम्पादक : रवीन्द्र नाथ सिंह
प्रकाशक : सोशल एंड मोटिवेशनल ट्रस्ट
पृष्ठ संख्या : 310, मूल्य : रु. 399

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]