“दोहा”
गन्ने में गुण बहुत है, पत्ता जिसका ढीठ।
तना तृप्त अमृत लिए, बरसाए रस मीठ।।-1
कटहल के जड़ मूल में, फल आता है खूब।
दोष मगर मीठा बहुत, दर पर हितकर दूब।।-2
आम काम का पेड़ है, फल से करे निहाल।
रूप रंग अति शोभनम, परमारथ हित लाल।।-3
नीम भीम सी है बली, फल तीखा जस व्याधि।
औषधि है गुणवान भी, ले अमृत सी ख्याति।।-4
कदली महिमावान है, फल पावन प्रिय पान।।
तरु दधीचि बन कर रहे, निज यवयव का दान।।-5
मानव सबका ऋणी है, लेकर दो दो हाथ।।
एक पेड़ निज कर लगे, फल खाएं मिल साथ।।-6
महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी