मुक्तक/दोहा

“दोहा”

गन्ने में गुण बहुत है, पत्ता जिसका ढीठ।
तना तृप्त अमृत लिए, बरसाए रस मीठ।।-1

कटहल के जड़ मूल में, फल आता है खूब।
दोष मगर मीठा बहुत, दर पर हितकर दूब।।-2

आम काम का पेड़ है, फल से करे निहाल।
रूप रंग अति शोभनम, परमारथ हित लाल।।-3

नीम भीम सी है बली, फल तीखा जस व्याधि।
औषधि है गुणवान भी, ले अमृत सी ख्याति।।-4

कदली महिमावान है, फल पावन प्रिय पान।।
तरु दधीचि बन कर रहे, निज यवयव का दान।।-5

मानव सबका ऋणी है, लेकर दो दो हाथ।।
एक पेड़ निज कर लगे, फल खाएं मिल साथ।।-6

महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ