रानी झाँसी रेजिमेंट की अंतिम कप्तान
आजाद हिंद फ़ौज की अंतिम महिला कप्तान “मानवती आर्य्या”।
दादीअम्मा यानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आज़ाद हिन्द फ़ौज में रानी झाँसी रेजिमेंट की कप्तान रही वरेण्य स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती मानवती आर्य्या 100 वर्ष जीकर 20 दिसम्बर 2019 को पृथ्वीलोक से प्रस्थान कर गयी।
दादीअम्मा (आदरणीया मानवती आर्य्या) से दोबार मुलाकातें हुईं।
पहली, 1992-93 में अर्जक निवास यानी मित्र देवेश जी के यहाँ !
जहाँ साथ बैठकर खाना भी खाए थे तथा उनसे नेताजी सुभाष के संस्मरण सुना था ! साथ ही राष्ट्रपति उम्मीदवार रही कैप्टन लक्ष्मी सहगल से उनके सम्बन्धों का संस्मरण भी सुना था ! दूसरी और अंतिम, 2009 में कानपुर में। दादीअम्मा के कई पत्र भी मुझे प्राप्त हुए हैं, वे ‘बालदर्शन’ की प्रधान संपादिका थी। डॉ. देवेश भी इस पत्रिका के कई अंकों का संपादन किए हैं।
बकौल- “मानवती आर्य्या 30 अक्तूबर, 1920 को बर्मा (म्यांमार) के मयटीला शहर में जन्मी व जीवन के प्रथम छब्बीस वर्ष बर्मा में बिताते हुए बर्मी और अंग्रेजी में ही औपचारिक शिक्षा प्राप्त की। अध्ययन, अध्यापन, लेखन और जन-संपर्क इनके बचपन से मृत्यु तक शौक बनी रहे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रेरक सान्निध्य में तन-मन-धन से समर्पित होकर स्वातंत्र्य संग्राम में भाग ले सकने के सुयोग को, युद्ध की विभीषिकाओं के बावजूद, ये अपने युवा जीवन का सर्वोत्तम अंश और आदरणीय कृष्ण चंद्र आर्य की जीवन साथी तथा विपश्यना साधक होने को अपने व्यक्तिगत जीवन का परम सौभाग्य मानती हैं। संप्रति, जनहित के कार्यों में निष्काम भाव से व्यस्त रहती हैं।”