कविता

/ आसान नहीं हैं दुनिया में चलना /

मनुष्य को चलाती है भूख और
उससे बढ़कर चलाती है प्यास
अपने अनुभव के बल पर
बहुत कुछ सीखता है वह
भूख मिटाने और प्यास बुझाने के
कभी जाने, कभी अनजाने के दौर में,
अतृप्त, दमित इच्छाओं की पूर्ति
पूरी नहीं होती है दुनिया में सबकी
हर इच्छा को पूरी कर पाना तृप्ति
वश की बात नहीं है किसीकी
नियमों को तोड़़कर चलनेवाले
अपनी इच्छाओं पर दौड़नेवाले
कुछ पाते हैं तो कुछ खोते हैं
शाश्वत नहीं है कोई भी सत्य
सौ गुणी आदमी यहाँ असत्य
हरेक की अपनी कमियाँ रहीं
देखनेवालों की दृष्टि में गलत या सही
पछताते हैं एक न एक दिन जरूर
कुछ पाने से और कुछ खोने से
हर चीज़ खरीदारी नहीं होती है
इच्छाओं के जाल को तोड़कर
आसान नहीं है दुनिया में चलना।
पैड़ाला रवीन्द्र नाथ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।