राजनीति

प्रदेश की राजनीति में महिलाओं का बढ़ता महत्व और विरोधी दलों की सेलेक्टिव राजनीति

उत्तर प्रदेश की राजनैतिक गहमागहमी के दौर में अब मातृ शक्ति भी राजनीति की मुख्यधारा में शामिल हो गयी है। जब से कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने उप्र में कांग्रेस को मजबूत करने की कमान अपने हाथों में ली है, तब से वह प्रदेश में महिलाओं के मुद्दों को जोर-शोर से उठाकर अपनी जमीन को मजबूत करने का प्रयास कर रही हैं। प्रियंका गांधी की कमान में कांग्रेस ने पहली बार प्रदेश की महिलाओं के लिए अलग चुनाव घोषणा पत्र पेश किया है और महिलाओं को बंजर जमीन में 40 फीसदी टिकट देने सहित कई बड़े-बड़े वायदे किये हैं। प्रियंका गांधी ने “लड़की हूं, लड़ सकती हूं” का नाारा भी दिया है। लेकिन कांग्रेस का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह रहा है कि अभी जब कर्नाटक विधानसभा में एक कांग्रेसी विधायक ने यह ”अगर रेप नहीं रोक सकते तो लेटिये और आनंद लीजिये” जैसा घटिया बयान दिया, वह भी विधानसभा के अंदर। इस बयान पर भारी हंगामा हो जाने के बाद भी प्रियंका गांधी कोई खास कदम नहीं उठा सकीं और केवल क्षमा याचना तक ही सीमित रह गयीं। वैसे भी कांग्रेस पार्टी का इतिहास भरा पड़ा है कि वह किस प्रकार से महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण व सेलेक्टिव राजनीति करती है।
राहुल गांधी महिला आरक्षण की बात कह रहे हे। लेकिन सत्यता यह है कि संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने का सबसे अधिक प्रयास पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के कार्यकाल में हुआ था और तब कांग्रेस सहित सपा, बसपा और अन्य सहयोगी दलों ने तीखा विरोध किया था और वह बिल अभी तक पारित नहीं हो पाया है। कांग्रेस व विरोधी दलों का महिलाओं को सशक्त बनाने का नारा कितना खोखला है यह पूरा देश देख रहा है। जब मोदी सरकार ने तीन तलाक कानून को पारित करवाया तब उसका भी विरोध किया गया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यहां तक बयान दिया था कि जब उनकी सरकार बनेगी तो वह तीन तलाक कानून को रद्द कर देगी।
अभी जब मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए विवाह की आयु 21 वर्ष करने का विधेयक सदन के पटल पर रख तो पूरे विपक्ष ने खूब हंगामा किया और बिल को संसद की कमेटी के पास भेज दिया गया। जबकि वास्तविकता यह है कि आज देश का हर प्रबुद्ध वर्ग तथा युवतियां सरकार के फैसले के साथ खड़ी दिखायी पड़ रही हैं। कांग्रेस व विरोधी दलों ने इस कानून का विरोध भी अपनी सेलेक्टिव राजनीति को ही मजबूत करने के लिए किया है, लेकिन अब जनता हर चीज को समझ रही है। अब हर चुनावों में देश व प्रदेश की आधी आबादी निर्णायक भूमिका अदा करने लग गयी है। अब पुरुषों के साथ-साथ महिला वोटरों को लेकर भी राजनैतिक दल काफी गंभीर हो गये हैं। अब राजनीतिक दल यह जान गये हैं कि महिला वोटर एक निर्णायक भूमिका में आ गयी हैं।
विधानसभा चुनावों के पहले राजनैतिक दल महिलाओं को अपने पाले में लाने के लिए कमर कस रहे हैं। कांग्रेस के बाद बीजेपी ने भी अपने प्रयास और तेज कर दिये हैं। प्रयागराज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ संवाद किया और स्व्यं सहायता समूहों की महिलाओं के लिए 1,000 करोड़ की आर्थिक राशि स्थनांतरित की है। अपने प्रयागराज दौरे के अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने 43 जिलों में 202 पूरक पोषण इकाइयों का शिलान्यास किया जहां पुष्टाहार तैयार किया जायेगा। इस अवसर पर 20 करोड़ से अधिक धनराशि कन्या सुमंगलम योजना की लाभार्थियों को भी दी गयी। 20 हजार बैकिंग व्यापार सखियों के खाते में चार-चार हजार रूपये का मानदेय भेजा गया।
महिलाओं के विशाल महाकंुभ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटियों की विवाह की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष किये जाने पर विरोधियों को कष्ट क्यों हो रहा है? बेटियां भी चाहती हैं कि उन्हें पढ़ाई के लिए समय मिले, बराबर का अवसर मिले। प्रधानमंत्री की यह बात तर्कसंगत भी है और सही भी है, लेकिन आज सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि आज जो दल यूपी में महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देने की वकालत कर रहा है वही दल सदन में महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उठाये जा रहे कदमों का सेलेक्टिव राजनीति के लिए विरोध कर रहा है। मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के चलते अगर कांग्रेस व विरोधी दल इस बिल का विरोध करते हैं तो जो देश का प्रगतिशील समाज है उस समाज में यह दल बुरी तरह से साफ हो जायेंगें। भारतीय जनता पार्टी अब यह मुद्दा हर हाल में अपनी ओर मोड़ सकती है।
महिला सशक्तीकरण के नाम पर कांग्रेस व वामपंथी दलों का हमेशा दोहरा रवैया रहा है। जबकि वास्तविकता यह है कि जब से केेंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आयी है तब से पूरे देशभर में नारी सशक्तीकरण का एक श्रेष्ठ अभियान चलाया जा रहा है। महिलाओं व युवतियों के हक में लगातार फैसले लिये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी रैली में कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के माध्यम से समाज की चेतना को जगाने का प्रयास हुआ है। परिणाम यह है कि आज अनेक राज्यों में बेटियों की संख्या में वृद्धि हुई है। बहनों के जीवन में सुविधा आ रही है और उनकी गरिमा में भी वृद्धि हुई है।
यह बात बिलकुल सही है कि महिलाओं के जीवन को सुगम और सशक्त बनाने के लिए मोदी सरकार एवं योगी सरकार बहुत ही ऐतिहासिक व महत्वपूर्ण काम कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि पीएम आवास योजना में 30 लाख से अधिक आवासों में 25 लाख महिलाओं के नाम है। ग्रामीण महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना से उनका जीवन आसान हुआ है और उन्हें अब धुएँ के चूल्हे से निजात मिल चुकी है। जगह-जगह शौचालय भी बन जाने से महिलाओं और युवतियों को शर्मसार नहीं होना पड़ रहा है। शारीरिक रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें स्वदेशी सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध करायी जा रही हैं। 15 अगस्त 2021 के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सैनिक स्कूलों में बेटियों का प्रवेश देने का ऐलान किया। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही सरकार हैं जिसमें महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों की फास्ट-ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो रही है तथा बच्चियों के साथ दुराचार जैसी वारदातों को अंजाम देने वाले अपराधियों को दस दिन के अंदर फांसी की सजा सुनाई जा रही है।
कांग्रेस यह तो आरोप लगाती है कि बीजेपी सरकार में महिला उत्पीड़न बढ़ा है, लेकिन वह यह नहीं बताती कि यह भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही सशक्त शासन है, जिसमें उन्नाव में गैंगरेप पीड़िता का मुख्य आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर आज जेल की सलाखों के पीछे सजा काट रहा है। युवतियों का शोषण करने वाले आशाराम बापू, बाबा राम रहीम जैसे लोग जिन्हें कोई सोच नहीं सकता था कि वे लोग कभी जेल जायेंगे, लेकिन वे भी आज अपने किये की सजा भुगत रहे हैं। मोदी सरकार में महिला सशक्तीकरण का काम लगातार जारी है। जन-धन योजना से भी महिला सशक्तीकरण ही हो रहा है। देश का वित्त मंत्रालय एक महिला के हाथों में है तथा वह आज देश की ही नहीं अपितु वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मेें आज महिलाएं सशक्त व आत्मनिर्भरता की चैपिंयन बन रही हैं। संपत्ति, खेत और नौकरी तक में महिलाओं के साथ जो भेदभाव हो रहा था, अब हर क्षेत्र में महिलाओं के साथ हो रही असमानता को दूर किया जा रहा है। रोजगार से लेकर परिवार तक में उन्हें भागीदार बनाया जा रहा है। आज महिलायें हर जगह कदम से कदम बढ़ाकर अपनी उपस्थिति को दर्ज करा रही हैं। अब तो सेना मेें भी महिलाओं को स्थायी कमीशन मिलने जा रहा है। गणतंत्र दिवस की परेड का नेतृत्व महिला कमांडर ने किया था, जिसे देखकर पूरा देश भावुक हुआ था। सरकार महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार कदम उठा रही है।
अभी जब सरकार ने युवतियों की विवाह की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का ऐतिहासिक निर्णय किया तो उसका काफी विरोध हुआ और हो भी रहा है लेकिन सरकार ने अपने कदम पीछे नहीं खीचे हैैं और दो कदम आगे जाते हुए फैसला लिया है कि अब अब देश के अति महत्वपूर्ण हस्तियों की सुरक्षा में पहली बार सीआरपीएफ की महिला कमांडो को तैनात किया जायेगा। इसके लिए अभी 32 महिला कमांडो को वीआईपी सुरक्षा की विशेष ट्रेनिंग दी गई है।
दूसरी तरफ जब से प्रदेश में योगी सरकार आयी है तब से प्रदेश की युवतियों व महिलाअंों को सुरक्षित वातावरण मिल सके इसके लिए भी लगातार कड़े कदम उठाये जा रहे हैं तथा इसका असर भी दिखायी पड ़रहा है।
प्रदेश सरकार की मिशन शक्ति योजना के तहत 23 विभागों के जरिये 75 तरह की योजनाएं संचालित की जा रही हैं। बीजेपी कमल शक्ति संवाद के माध्यम से महिलाओं को भी योजनाओं को जानकारी दे रही है तथा उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर रही है। प्रदेश सरकार प्रदेश की मातृशक्ति के सर्वांगीण विकास को समर्पित है। प्रदेश सरकार उप्र नारी शक्ति के सम्मान सुरक्षा और सशक्तीकरण के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। प्रदेश सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए है। जो कांग्रेस कह रही है कि वह पुलिस भर्ती में महिलाओं को आरक्षण देगी वह सफेद झूठ है। आज वास्तविकता यह है कि प्रदेश में डेढ़ लाख पुलिस भर्ती में 20 फीसद पद महिलाओं के लिए हैं। प्रदेश सरकार ने महिलाओं व युवतियों के लिए लगातार फैसले लिये हैं। कांग्रेस सहित सभी विरोधी दल केवल चुनावी नजरिये से ही महिलाओं को भी देखते है। अगर कांग्रेस को महिलाओं को आरक्षण देने की इतनी फिक्र है तो वह बताये कि स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी सरकार जब महिला आरक्षण देने के लिए विधेयक ला रही थी तब उसका विरोध क्यों हो रहा था।
आज प्रदेश में ग्रामीण महिलाओं को आत्मसुरक्षा के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकारी व गैरसरकारी संगठन महिलाओं को हर क्षेत्र में जागरूक करने के काम में जुटे हैं। आज प्रदेश में युवतियां अपने को सुरक्षित महसूस कर रही हैं। आधी आबादी का वोट पाने के लिए अभी कांग्रेस, सपा व बसपा को बहुत कशमकश करनी होगी। प्रदेश की बच्चियों को पता है कि जब सपा सरकार थी तो वह अकेले स्कूल जाने में डरती थीं। यहां तक कि वे भरी दोपहरी में भी घर से बाहर निकलने में डरा करती थीं।

— मृत्युंजय दीक्षित