कविता

दिसम्बर

सुनो दिसम्बर
पल पल जा रहे हो तुम छोड़कर
पर तुम जानते हो ना !
मैंने मेरे दिल की वो बातें तुमसे की
जिसके होने से मैं कई बार रोई और कभी मुस्कुराई
सुनो दिसम्बर एक गुजारिश है तुमसे
जाते-जाते पैगाम दे देना उन्हें मेरा
उनके सीने में ये एहसास भर देना
मेरी चाहत गुलाबी है
बस इतना ही
तुम्हारे साथ बीते पल याद आएंगे
आना फिर तुम अगले बरस।

*बबली सिन्हा

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