धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

भारतीय धरोहर का जीर्णोद्धार जरूरी

वक्त के साथ चलते गल चुकी है भारतीय परंपरा, संस्कृति और संस्कारों की नींव। स्मृतियों से विलुप्त होते ढ़ह रहे है धार्मिकता के किले। आजकल की पीढ़ी को कहाँ मुँह ज़ुबानी याद रामायण की चोपाई और भगवद् गीता के श्लोक। मृत:प्राय होते उजली धरोहर मिट रही है, जरूरत है जीर्णोद्धार की, चाहे मंदिर हो चाहे संस्कृति हो या संस्कार।
आधुनिकता की होड़ लगी है ईश्वर से और ईश्वरीय शक्ति और ज्ञान से विमुख होते सभ्यताओं को खो चुका है समाज। जीवन जीने के नये तौर तरीकों में रममाण होते इन सारी चीज़ों का अंतिम संस्कार हो चला है। भारत का आध्यात्मिक जागरण तभी हो सकता है जब उसके धार्मिक और दैवीय स्थानों को उनके पुराने गौरव के साथ बहाल किया जाए। धार्मिक स्थानों का निर्माण और हिन्दु धर्म का प्रचार ही हिन्दुत्व की रक्षा करेगा। भीतर से हर भारतीय कट्टर हिन्दु होगा तभी आने वाले समय में देश का भविष्य उज्जवल होगा।
आज के युग में जरूरत है प्रकृति को बचाने की आज वृक्षों को काटकर कांक्रीट के जंगल खड़े किए जा रहे है। नदियों में फैक्ट्रियों का रसायण युक्त गंदा कचरा उड़ेल कर ज़हर घोला जा रहा है। नदियों की सफ़ाई से लेकर मंदिर के जीर्णोद्धार की तांती जरूरत है। मंदिर हमारे देवी देवताओं का निवास और हमारी श्रद्धा के प्रतिक है, नदीयां हमारे जीवन का आधार है, प्रकृति इंसान की साँसों का निर्वाह है।
प्राचीन काल से लेकर वर्तमान युग में हर युग के सत्ताधिशों ने अध्यात्म को बचाने की जहमत उठाई है। पर इंसान अब मौल थियेटर बिंल्डिंगो और ऑफिसों के चक्कर में धार्मिक स्थलों के प्रति लापरवाह होते जा रहे है। हम पूरी तरह से नास्तिक बन जाए इससे पहले जरूरत है पुनः हमारे संस्कारों को जगाने की। बहुत सारे धर्मं स्थल जीर्ण होते मिटने की कगार पर खड़े है। धार्मिक संस्थाओं को ध्यान देने की जरूरत है, ध्वस्त होते कालजयी बनने से पहले धरोहर को बचा ली जाए।
हमारे भारतीय मंदिरों की कलाकृति पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। सदियों पहले इतनी सुविधा न होने के बावजूद कारीगरों ने पत्थरों में प्राण पूरे है, जिसे बचाना हमारा फ़र्ज़ है। अभिभावकों का फ़र्ज़ है अपने बच्चों को वेदों पुराणों और धार्मिक ग्रंथों के प्रति जागरूक करके संस्कृति से परिचय करवाए। संस्कार और परंपराओं से ज्ञात करवाएं वरना आने वाले कुछ सालों में बच्चें सिर्फ़ आधुनिक बनकर रह जाएंगे। हिन्दुत्व की धरोहर को आगे ले जाने के लिए हर सुविचारित चीजों का जीर्णोद्धार आज के समय की मांग है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश में सीएम और केंद्र में पीएम रहते हुए महत्व की कई परियोजनाओं को शुरू किया और अंजाम तक पहुंचाया। साथ ही विभिन्न परिवर्तनकारी पहल भी शुरू की। जिसमें देश में सैंकड़ों वर्ष पुराने मंदिरों को पुनरुद्धार करना भी शामिल है। साथ में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के चार तीर्थ स्थलों को जोड़ने वाले एक आधुनिक और विस्तृत चार धाम सड़क नेटवर्क के निर्माण को मंजूरी देकर चार धाम परियोजना की शुरुआत की। यह योजना देश भर से इन चार पवित्र स्थानों पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए अनुकूल और आसान पहुंच प्रदान करेगी। भूली बिसरी भारतीय परंपरा और धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार में माननीय प्रधानमंत्री जी का कार्य काबिले तारीफ़ है। पर इस महायज्ञ में सभी देशवासियों को योगदान देना होगा तभी पूर्ण बदलाव संभव होगा। तो जिनसे जितना बन पड़े इस कार्य को आगे ले जाए और भारतीय संस्कृति का पुनरुद्धार करें।
— भावना ठाकर ‘भावु’

*भावना ठाकर

बेंगलोर