मेरे बाद की पीढ़ी
कभी गिलहरी सी शर्मिलीकभी शेरनी सी स्वच्छंदअंगड़ाई लेती मोरनी सीमेरी ख़्वाहिशों की परछाईइत्र की शीशी सी महकतीकभी गीली दूब तो
Read Moreकभी गिलहरी सी शर्मिलीकभी शेरनी सी स्वच्छंदअंगड़ाई लेती मोरनी सीमेरी ख़्वाहिशों की परछाईइत्र की शीशी सी महकतीकभी गीली दूब तो
Read More“अति सर्वत्र वर्जयेत” इस कथन को समझकर अपनी आदत में सुधार करना अति आवश्यक होता है। क्योंकि अति का परिणाम
Read More“लावण्यमयी ललना अपने अंग-अंग पर पड़ी सुस्ती को बुहार ले ओज है तेरी रवानी में खुद को तू सॅंवार ले,
Read Moreताउम्र तुम मुझे प्रेमिका ही बनाए रखना तुम बेइन्तेहां चाहत बरसाने वाले प्रेमी ही बनें रहना मर्द बनने की कोशिश
Read Moreहर साल वूमेन डे पर स्त्री विमर्श लिखते हुए सोचती हूॅं अगले साल स्त्री स्वतंत्रता पर लिखेॅंगी। लेकिन विमर्श का
Read Moreए जीव तू अहं की यात्रा पूरी करके आगे तो निकल आया, कितना बेखबर है अपनों का काफ़िला तो पीछे
Read More“आया फागुन होली लाया, रंगों की फूहार लाया हर मन नाचे झूम झूमकर, गुजिया के संग भांग लाया, तू भी
Read Moreरहना तुम सदा मेरे भीतर ऐसे रहती है पुतलियाॅं चुपके से नैन कटोरी के भीतर जैसे ओझल न होना अचानक
Read Moreकाॅलेज केन्टिन में सबसे अलग उदास और अपने आप में गुम बैठे अंश से उसकी दोस्त सिमोन ने कहा, “come
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