धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

होली के बहाने

“आया फागुन होली लाया, रंगों की फूहार लाया हर मन नाचे झूम झूमकर, गुजिया के संग भांग लाया, तू भी आ जा साजन मोरे हया का रंग गोरे गाल पे छाया” होली का त्योहार हर दिल अज़ीज़ है। खासकर जिनकी नई-नई शादी हुई हो उन जोड़ों के लिए पहली होली का महत्व ही कुछ और होता है। होली आनंदोल्लास और रंगों का पर्व है। रंग, मस्ती, गुझिया, दही-पापड़ी और भांग के संग अपनों के साथ होली मनाने से त्योहार का मज़ा दुगना हो जाता है। पलाश के केसरिया फूलों संग प्रियतमा के गालों की तुलना आशिकों के मन में कविताएँ रचती है। शादीशुदा नये जोड़े पहली होली को यादगार बनाते नाचते, गाते, झूमते इस त्योहार का आनंद उठाते है। नाच-गाने, हँसी-मजाक, मौज-मस्ती करने व इर्ष्या और राग द्वेष जैसे विचारों को तिलांजली देने का त्योहार है होली। 

फागुन मास की पूर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है। होली के साथ अनेक कथाएँ जुड़ी हुई है। पर आज हम बात करेंगे रंगने के बहाने लड़कियों से हो रही छेड़छाड़ और बदतमीज़ी कितनी जायज़।

बुरा न मानो होली है इस उक्ति का कुछ लोग गलत इस्तेमाल करते रंगों के त्योहार पर इसकी आड़ में गलत फ़ायदा उठाने की कोशिश करते है। रंग लगाने के बहाने कुछ लोग लड़कियों के साथ छेड़खानी करते देखे जाते है। ऐसा करने वाले अक्‍सर कोई अनजान नहीं होते बल्कि ज्यादातर पड़ोसी, दोस्त या रिश्तेदार ही होते है। इसी वजह से होली पर कुछ महिलाएं घर से बाहर निकलने में कतराती हैं। चाहते हुए भी होली पर होली खेलने से घबराती है। जबरदस्ती रंग लगाना, वल्गर शब्दों का इस्तेमाल या दुपट्टा खिंचने जैसी हरकतों से लड़कीयों को शर्मसार करते है। होली में सड़कों पर रंगों से पुते चेहरे वाले लड़कों की टोलियाँ निकल पड़ती है। इनका खौफ़ इतना होता है कि उनके पास से निकलने से हर कोई लड़की घबराती है।

आजकल अच्छे रंगों का प्रयोग न करके रासायनिक लेपनों, नशे आदि का प्रयोग करके होली की गरिमा को लोग लुप्त कर रहे है। ये त्योहार बुराई पर अच्छाई कि जीत का है, पर कुछ लोग इसी त्योहार को बुरा बना देते है। लड़कियों के लिए ये त्योहार बदतमीज़ी, छेड़छाड़ और हिंसा का डर भी लेकर आता है। होली पर महिलाओं को सावधानियाँ बरतनी चाहिए। ऐसे मनचले आवारा लड़कों से खुद ही सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि जश्न के माहौल और भांग के नशे में धुत लड़कों पर किसी का कमान नहीं होता। होली पर अकेले घर से बाहर न निकलें, परिवार के किसी सदस्य के साथ ही बाहर जाएं। होली पर किसी भी तरह के नशे से बचें और दोस्त-रिश्तेदार में से जिनके साथ आप सहज महसूस नहीं करते, उनके साथ होली खेलने से बचें। मना करने के बावजूद अगर कोई जबरदस्ती रंग लगाता है तो घर के किसी बड़े सदस्य से उनकी शिकायत करें।

होली पर गले लगकर, रंग लगाकर ही शुभकामना देना जरूरी नहीं होता, सिर्फ़ हैपी होली बोलकर भी बधाई दी जा सकती है। ये त्योहार हँसी-खुशी, मौज-मस्ती और महिलाओं का सम्मान करते हुए मनाया जाना चाहिए, जिससे त्योहार की गरिमा बनी रहें।

— भावना ठाकर ‘भावु’

*भावना ठाकर

बेंगलोर