शिक्षा संपूर्ण मानव की रोशनी है
दुनिया का कोई भी राष्ट्र तभी तरक्की कर सकता है जब उसके पास में शिक्षा रूपी रोशनी से ज्ञान की मशाल हो। शिक्षा की क्रांति से ही विचार क्रांति जन्म लेती है। व्यक्ति के जीवन मैं अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का काम ही शिक्षा करती है। भर्तृहरि ने कहा -“ज्ञान के बिना मनुष्य केवल एक पशु के समान है।” शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि- “माता शत्रु पिता बैरी येन बालो न पाठित: न शोभते सभा मध्ये हंसमध्य बको यथा।” अर्थात् जो माता पिता अपने बच्चे को शिक्षा से वंचित रखते हैं वे शत्रु के समान है। क्योंकि विद्याहीन या अशिक्षित पुत्र विद्वानों एवं शिक्षित लोगों के मध्य शोभा नहीं देता है। जिस प्रकार हंसों के बीच में बगुला।
शिक्षा ही व्यक्ति को सम्मान, पद, ताकत,प्रतिष्ठा और प्रशंसा दिलाती है। डॉक्टर बी.आर.अंबेडकर ने भी शिक्षा के बारे में कहा है-” शिक्षा शेरनी के दूध के समान है जो इसे पिएगा व दहाड़ेगा।” शिक्षा के द्वारा ही व्यक्ति अपनी बौद्धिक क्षमता से ज्ञान प्राप्त कर सकता है। संपत्ति में पुत्रों के हिस्से किए जाते हैं किंतु शिक्षा अर्थात् विद्या रूपी धन में किसी का भी बंटवारा नहीं किया जा सकता है।शिक्षा अनिवार्य भी होनी चाहिए और सार्वजनिक भी।शिक्षा ही व्यक्ति जीवन में आत्मनिर्भर बनाती है।शिक्षा ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करती है।शिक्षा ही मनुष्य का सुंदर आभूषण है। शिक्षा ही व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व का कल्याण करती है। शिक्षा का उद्देश्य संपूर्ण मानव जाति का कल्याणकारी होता है। शिक्षा व्यक्ति को अधिकार भी देती है और कर्तव्यों के दायित्व को भी सिखाती है।शिक्षा मनुष्य मनुष्य में भेद को मिटाती है। “विद्यां ददाति विनयं,
विनयाद् ददाति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति,
धनात् धर्मं ततः सुखम्॥
अर्थात् विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता आती है, पात्रता से धन प्राप्त होता है, धन से धर्म होता है और धर्म से सुख प्राप्त होता है।
शिक्षा मनुष्य के जीवन में एक ऐसा हथियार है जो बिना रक्तपात के भी दुनिया में बदलाव लाती है। शिक्षा ही है जो नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर सकारात्मक ऊर्जा से इंसान को सुशिक्षित,सभ्य एवं बेहतरीन इंसान बनाने का काम करती है। शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ व्यवसायिक नहीं है बल्कि मनुष्य के व्यवहारिक जीवन में बदलाव से है।जिस देश के सभी व्यक्ति उत्तम शिक्षा प्राप्त करते हैं उस राष्ट्र का भविष्य सदा उज्जवल होता है। शिक्षा के बारे में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था -“शिक्षा वास्तविक अर्थों में सत्य की खोज है।यह ज्ञान और प्रकाश की अंतहीन यात्रा है। ऐसी यात्रा मानवतावाद के विकास के लिए नए रास्ते खोलती है।”। वास्तव में शिक्षा उस अथाह सागर के समान है जिसमें ज्ञान पिपासु गोते लगाता हुआ जो जितनी डुबकियां लगाता है वह उतना ही आनंदित होता है जो जितना गहराई में जाता है उतने ही ज्ञान रूपी मोती को प्राप्त करता है। शिक्षा खुले नीले आकाश की तरह स्वच्छ होती है। जिस मनुष्य के पास में यदि शिक्षा नहीं होती है धरती पर अभागा बनकर इस विचरण करता है। जिस तरह प्रकृति में रात को चांद तारों से उजाला होता है और दिन में सूर्य से वैसे ही मनुष्य का उजाला शिक्षा रुपी ज्ञान का प्रकाश ही है जो मानव का सर्व कल्याण करता है।
— डॉ. कान्ति लाल यादव