गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – साल नया

सबकी अपनी मन की अलग मुरादें हैं,
सबकी खाली झोली भर दे साल नया
चलते रहना ही जीवन तू रुकना मत
जीवन की ये रीत सिखाये साल नया
क्या खोया क्या पाया इस बीते कल में
लेकर हाथ तराजू तोले साल नया
नफरत मिटे दिलों में जो भी हो सबके
उपवन प्रीती का महकाये साल नया
बिगडी मेरी बना दे समा मुश्किल भरा,
जीवन की ये रीत सिखाये साल नया|
और भला क्या मांगू रब से सोच ज़रा
सबकी खाली झोली भर दे साल नया
अबके बरस बस खुशियां लाये साल नया
कुदरत कोई न कहर बरपाये साल नया
मैंने उम्मीदों का दामन सा थामा है
उम्मीद कोई फिर टूट न जाये साल
— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]