लघुकथा

लघुकथा –  ड्युटी

चौराहे पर लॉकडाउन के नियमों को लागू कराने के लिए ड्युटी पर तैनात पुलिस कॉन्सटेबल ब्रजेश के मोबाइल फोन पर घंटी बजी।फोन करने वाला उनका दोस्त आनंद था,जो सिंचाई विभाग में क्लर्क था।  फोन पर आनंद का संदेश सुनाई देता है-
      ” यार, ब्रजेश जब देखो तुम ड्युटी करते रहते हो,बहाना बनाकर छुट्टी ले लो न।”
       “नहीं ,मैं ऐसा नहीं कर सकता,लोगों की सुरक्षा करना मेरा फर्ज़ है।”
          वह इतना कह पाया था कि तभी सामने दो बाइकों में ज़ोरदार टक्कर हुई,और एक लड़का, जिसका नाम गौरव था, बुरी तरह घायल हो गया।उसे ब्रजेश तुरंत अस्पताल लेकर गया। समय पर इलाज मिल जाने से वह बच गया, पर डॉक्टर ने कहा कि यह घायल को समय पर कॉन्स्टेबल द्वारा अस्पताल लाने के कारण ही संभव हो सका है।डॉक्टर,कॉन्स्टेबल ब्रजेश की तारीफ़ कर ही रहा था कि तभी गौरव का पिता पहुँचा,जिसने भी ब्रजेश की  तारीफ़ सुनी ।गौरव का पिता और कोई नहीं,बल्कि ब्रजेश का दोस्त आनंद था,जो कुछ देर पहले मोबाइल पर उसे ड्युटी से बचने की सलाह दे रहा था। यह सुनकर उसका सिर झुक गया। वह ब्रजेश से नज़रें मिलाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
—  प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]