नाटिका – ‘वी मेक’
“नानू, हमें नए खिलौने दिलवाइए.” नाती अथर्व ने कार से उतरते ही दौड़कर अबीर जी से लिपटते हुए कहा.
“दिलाएंगे यार, आते ही फरमाइश शुरु कर दी, पहले नमस्ते तो कर!”
“सॉरी नानू, गलती हो गई.” अथर्व ने अबीर जी के चरण स्पर्श करते हुए कहा.
“आयुष्मान, बुद्धिमान, सेवामान भव.” नानू ने आशीर्वाद देते हुए कहा.
“नानू, आप और नानी ऐसे क्यों कहते हैं? बाकी सब तो मुझे “God bless you” कहते हैं.” अथर्व की जिज्ञासा मुखर थी.
“आजकल के अंग्रेज बच्चे हो न तुम, “God bless you” को तो चलते-फिरते पसंद कर लोगे, पर अपनी भारतीय संस्कृति और सभ्यता से भी तो परिचित करवाना होगा न! तुम जानते हो कि “God bless you” का मतलब क्या है?” अबीर जी ने भी उसकी General knowledge को परखना चाहा.
“भगवान– तुम– पर– किरपा– करते– रहें.” अबीर ने रुक रुक कर बता ही दिया.
“किरपा नहीं कृपा —.”
“हां जी, वही वही, पर नए खिलौने!” नानू की बात को काटते हुए अथर्व ने कहा. खिलौनों की बात वह भूला नहीं था.
“हां भई, खिलौने तो जरूर मिलेंगे, पर यह तो बता “God bless you” का मतलब किसने बताया?” अबीर जी उसको बिना कुछ सिखाए ऐसे ही छोड़ने वाले नहीं थे.
“ममा ने.” उसका छोटा-सा जवाब था.
“हम भी कुछ सिखाते हैं, “आयुष्मान, बुद्धिमान, सेवामान भव.” का अर्थ है, भगवान तुम्हारी उम्र लंबी करें, तुम्हें बुद्धिमान बनाएं तथा सेवा करना सिखाएं, ताकि तुम सबके प्यारे-दुलारे बन सको.”
”Ok नानू, नए खिलौने!” पांच साल का अथर्व ऐसे ही मानने वाला थोड़े ही था!
“चल भाई, सबसे पहले नए खिलौनों की ही बात कर लेते हैं.”
“नमस्ते नानू,” अलीशा ने कमरे में आते हुए कहा, “इसको नए खिलौनों की चिंता लगी है, मुझे तो अपने स्कूल के प्रॉजेक्ट की चिंता सता रही है. साक्षात्कार करके प्रॉजेक्ट पूरा करना है, 10 दिन के बाद स्कूल खुल जाएंगे.” अलीशा की अपनी समस्या थी.
“अच्छा भाई अच्छा, हमने आप दोनों की बात सुन ली अब तुम दोनों ध्यान से हमारी बात सुनो, शायद दोनों को अपनी-अपनी समस्या का हल मिल जाए!” अबीर जी ने दोनों की उत्सुकता बढ़ा दी.
“जल्दी बताइए न कैसे!” दोनों ने कहा.
“ऐसा करते हैं कल महीने का दूसरा शनिवार है, हम बेंगलुरु चलते हैं, वहीं अथर्व को नए खिलौने मिल जाएंगे और तुम्हारे प्रॉजेक्ट के लिए बहुत बढ़िया साक्षात्कार का काम भी हो जाएगा.” दोनों बच्चे तालियां बजाकर उछलते-कूदते नानी मां को खुशखबरी सुनाने चले गए. वहीं मां भी थीं, दोनों की बात सुनकर मुस्कुराने लगीं.
“अंकल, मैं साक्षात्कार किसके साथ करूं?” अलीशा ने बेंगलुरु के एक कैफे में वहां उपस्थित तीन अंकलों को देखकर अरविंद जी से पूछा.
“आप किसी से भी प्रश्न पूछिए, जवाब हम तीनों की तरफ से होगा.” अरविंद जी की बात नानू के अलावा सबको हैरान करने वाली थी.
“मैं अरविंद हूं, यह पारिजात और यह विष्णु.” अरविंद जी ने तीनों का परिचय देते हुए कहा.
“अरविंद अंकल, पहले आप ही अपनी संकल्पना ‘वी मेक’ ग्रुप के बारे में कुछ बताइए.” इतने लोगों का एक साथ साक्षात्कार लेने के अवसर से अलीशा रोमांचित थी.
“अलीशा जी, मैं चाहता था कि युवा इंजिनियरों का एक ग्रुप कॉलेज के प्रॉजेक्ट से अलग हटकर कुछ नया बनाने की कोशिश करे, ताकि हमारी इंजिनियरिंग आम लोगों के भी काम आए. मैंने एक रोबॉट बनाया है जो छींक आने पर आपको टिशू देगा. एक ऐसा रोबॉट भी है जिसके सामने हाथ हिलाने पर वह आपको कैंडी देगा. मैंने सोचा कि क्यों न अपने साथ कुछ अन्य एंड्रॉयड डिवेलपर्स को जोड़ा जाए जो अपनी स्किल को फन प्रॉजेक्ट बनाने में लगाना चाहते हों. नेट पर खोज करने से मुझे पारिजात और विष्णु मिल गए. बस यही से शुरुआत हुई ‘वी मेक’ ग्रुप की.”
“अंकल ये रोबॉट हमें मिल सकेंगे, मुझे छींकें बहुत आती हैं और मैं टिशू ही ढूंढता रह जाता हूं.” अथर्व अपने को बोलने से नहीं रोक सका.
उसकी इस मासूम बात पर सब हंसने लगे और नानू ने इशारे से उसको चुप कराया.
“पारिजात अंकल, अब आप ‘वी मेक’ ग्रुप के बारे में कुछ और बताइए.” अपने नाम के अनुसार अलीशा की आंखों में चमक दिखाई दे रही थी.
“आज की तरह हर महीने के दूसरे शनिवार को बेंगलुरु के एक कैफे में मिलते हैं और कुछ नया बनाने पर बातचीत करते हैं. चौथे शनिवार पर उस प्रॉजेक्ट के प्रोटोटाइप पर काम करते हैं और चीजें इकट्ठी करते हैं. महीने के आखिर में फन प्रॉजेक्ट तैयार हो जाता है. कॉलेज के बजाए हमारे ग्रुप ने कैफे को अपने काम के लिए चुना है. यहां खाने और मस्ती के साथ खिलौना भी तैयार हो जाता है. ग्रुप में कोई भी जुड़ सकता है, लेकिन डेडलाइन पर काम पूरा करना जरूरी है.” पारिजात ने कहा.
“यह डेडलाइन पर काम पूरा करना जरूरी होने की बात बहुत महत्वपूर्ण है, अन्यथा प्रॉजेक्ट लटक सकता है.” अलीशा की सयानी राय थी.
”आपने बिलकुल सही कहा अलीशा जी, प्रॉजेक्ट लटकने का अर्थ है- हमारी हार,” विष्णु अंकल ने कहा, जो अब तक चुप बैठे सुन रहे थे, “और हारना हमें कतई मंजूर नहीं है. हमारे इस ग्रुप ने जुलाई 2019 में काम करना शुरु किया था. अब तक हम बहुत-से खिलौने बना चुके हैं.”
”कुछ और खिलौनों के बारे में भी बताइए न विष्णु अंकल जी.” स्कूल में जब यह प्रॉजेक्ट दिखाएगी, तो सबकी क्या प्रतिक्रिया होगी, यह सोचकर अलीशा की खुशी का ठिकाना ही नहीं था.
“जुलाई में अपनी पहली मुलाकात के दौरान हमारे ‘वी मेक’ ग्रुप ने एक ऐंटी अडिक्शन बॉक्स बनाया था. लकड़ी का यह बॉक्स मोबाइल को खुद से दूर रखता है. इसमें आप अपने फोन को बंद करके टाइम सेट कर सकते हैं. बॉक्स उसी समय खुलेगा. इस बॉक्स को आसानी से तोड़ा भी जा सकता है. इसके अलावा हमारे ग्रुप ने एलईडी बल्ब से जगमगाने वाली टीशर्ट बनाई है. इस पर ‘हेलो’, ‘थैंक यू’ जैसे मेसेज रोशन होते हैं.”
“अरविंद अंकल जी, आपके ‘वी मेक’ ग्रुप के बारे में इतना सब कुछ जानकर बहुत अच्छा लगा. एक आखिरी बात बताइए.”
“हां जी पूछिए.” अरविंद अंकल अगले वार के लिए कुछ और मुस्तैद हो गए.
“अंकल जी, इन खिलौनों को बड़े पैमाने पर तैयार करने और बेचने के लिए आपने क्या सोचा या काम किया है?”
“हमारे इस प्रॉजेक्ट के बारे में देश-विदेश से बहुत लोग उत्सुकता से पूछ्ताछ कर रहे हैं. कुछ काम तो बेंगलुरु की एक-दो फैक्ट्रीज़ में शुरु हो गया है. आपके नानू भी अपनी फैक्ट्री के लिए हमारे संपर्क में हैं.” अबीर जी को मुस्कुराते देखकर घर के बाकी सब लोग हैरानी से देखने लगे.
“अथर्व जी, यह लीजिए छींक आने पर आपको टिशू देने वाला रोबॉट, अब आपको टिशू के लिए इधर-उधर ताकना नहीं पड़ेगा.” अथर्व की तो मानो लॉटरी निकल गई, फिर भी लेने से पहले सबकी तरफ ऐसे देख रहा था, मानो इजाजत के बिना गिफ्ट लेना नाइंसाफी होगी. नजरों से इजाजत मिलने पर उसने रोबॉट ले लिया और तीनों अंकल को लंबा वाला थैंक यूSSSSS कहकर अलीशा की तरफ रोबॉट को संभालने में मदद करने की आरजू से देखने लगा.
अलीशा ने भी अथर्व की मदद करते हुए तीनों अंकल को साक्षात्कार और रोबॉट के लिए धन्यवाद दिया. बाकी सब भी उनको धन्यवाद देकर ‘वी मेक’ जिंदाबाद कहते हुए अपनी कार की ओर बढ़ गए.