गीत/नवगीत

हम अर्चना करेंगे

हम अर्चना करेंगे
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हे वंदनीय भारत अभिनंदनीय भारत ,
जीवन सुमन चढ़ा कर आराधना करेंगे |
तेरी जनम जनम भर हम अर्चना करेंगे |

महिमा महान है तू गौरव निधान है तू,
मन प्राण तू हमारा और आन बान है तू |
तेरे लिए जिए हैं तेरे लिए मरेंगे |
तेरी जनम जनम- – – – – – – – – – –

जिसका मुकुट हिमालय जग में चमक रहा है ,
सागर जिसे रतन भर अंजुलि चढ़ा रहा है |
गंगा चरण पखारे नित – नित चरण गहेंगे |
तेरी जनम जनम- – – – – – – – – – — – – –

है संस्कृति अलौकिक जिससे धरा सनी है,
है सभ्यता जहाँ से पावन बड़ी घनी है |
इसकी सुवास बन कर हम विश्व में बहेंगे |
तेरी जनम जनम – – – – – – – – – – – —-

जिसके विशाल मंदिर आदर्श के धनी हैं ,
ऋषि मुनि की भूमि पावन नवनिधि से ये बुनी है |
इसकी विजय पताका ले विश्व में चलेंगे |
तेरी जनम जनम – – – – – – – – – – – – –

प्यारा वतन हमारा सारे जहाँ से न्यारा ,
लें जन्म जहाँ ईश्वर ऐसा वतन हमारा ,
रक्षा में इसकी अर्पण मन प्राण हम करेंगे |
तेरी जनम जनम – – – – – – – – – – – – – –

नदियाँ यहाँ की पावन झरने यहाँ के निर्मल ,
ऋतुएँ यहाँ मचलती खिलते यहाँ कमल दल ,
इसकी पवित्रता को मन से सदा वरेंगे |
तेरी जनम जनम – – – – – – – – – – – – – – –

जिसकी महानता के संसार गीत गाता ,
जिसकी उदारता से संसार भीग जाता ,
उसकी ‘मृदुल’ मृदुलता हम विश्व में भरेंगे |
तेरी जनम – जनम – – – – – – – – — – – – –

हे वंदनीय भारत – – – – – – – – – –
जीवन सुमन चढ़ा- – – – – – – —- –
©मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल’
लखनऊ ,उत्तर प्रदेश

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016