लघुकथा – तमाचा
“भाभी, मुंह खोलिए। ” गजानन की पत्नी अंजना ने खुशी से झुमते हुए सविता के मुंह में मिठाई डाल दी।
” किस बात का लड्डू!” सविता ने मिठाई का स्वाद लेते हुए पूछा।
“माधव की सर्विस लग गई।” उसने एक लड्डू सविता के पुत्र ददन को देते हुए कहा।
माधव ने दोनों के चरण रज लिए।
मुंह का स्वाद कसैला हो गया, लेकिन ऊपरी मन से सविता ने कहा–“अब तुम्हारा दुःख दूर हो जाएगा। किसमें नौकरी हुई माधव?”
” बैंक में… चपरासी..”। अंतिम शब्द ने सविता के मुंह को पुनः मिठा कर दिया।
” लोवर पोस्ट!” ददन ने कहा।
“बेरोजगार से तो लाख गुणा अच्छा है”।
अंजना ने बेरोजगार ददन को देखते हुए कहा और अपने पुत्र माधव को लेकर तीर की तरह चली गई।
अंजना तिलमिला कर रह गई। ददन लड्डू को पैरों से मसलने लगा।
— उमाकांत भारती