लघुकथा

लघु कथा – लूटेरा

तीन लूटेरों ने देशी कट्टे की नोक पर दिनदहाड़े तीन लाख रूपए एक व्यापारी से  लूट लिए। राहगिरों ने रूपए से भरे ब्रीफकेस के साथ एक लूटेरे को खदेड़कर पकड़ लिया। भीड़ अपने –अपने हाथ का मैल उसपर साफ करने लगी।
सूचना मिलते ही स्थानीय थाना मौके ए वारदात पर पहुंच गई। थानाध्यक्ष  लूट की रकम कब्जे में लेकर गाड़ी में बैठ गए और रूपए की गिनती करने लगे।
” हुजूर! भीड़ लूटेरे की जान ले लेगी।”उनके ड्राइवर ने कहा।
“हूं…”
थोड़ी देर बाद ड्राइवर ने फिर कहा– ” हुजूर! पुलिस की उपस्थिति में हत्या हुई है।अदालत हमें भी कटघरे में खड़ा कर देगी।”
“ड्राइवर गाड़ी स्टार्ट करो। बैंक चलो।”
 — उमाकांत भारती

उमाकांत भारती

जन्म : 10 सितम्बर 1948 ई. कृतियाँ- ममता की मूर्ति, प्रतिशोध, कैसे कहूँ, बदलते रिश्ते, काला दिन, बुढ़ापे का गणित, नया बेटा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में 100 से अधिक कहानियाँ प्रकाशित। लघुकथायें एवं कवितायें भी प्रकाशित। आकाशवाणी से कहानी, लघुकथा, आलेख प्रसारित। सम्पादन- पलाश अर्द्धवार्षिक का 2014 से सम्पादन सम्पर्क- मेहता निवास, नया टोला, भीखनपुर, गुमटी नं. 12 के पास, भागलपुर-812001 बिहार सचल दूरभाष- 9608228922 E-mail [email protected]