ग़ज़ल
मेरा सब कुछ गया साथ तेरे
खोने को कुछ नहीं रहा पास मेरे।
जिसके प्यार से गुलजार थी मेरी दुनिया
बस उस गुलिस्तां की वीरानियां है पास मेरे।
तेरे प्यार के गुलों से सजाया था अपना आशियाना
बस पतझड़ के चंद पत्ते है पास मेरे।
बंद दरवाजे बंद है खिड़कियां
बस खाली मकान रह गया पास मेरे।
सारी खुशियां रुखसत हुई साथ तेरे
बस चंद आंसु है पास मेरे।
नश्तर चुभते हैं तेरी यादों के
बस चंद यादों के पुलिंदा है पास मेरे।
किससे हाल कहें इस दिल का
जब तुम नहीं हो पास मेरे।
— विभा कुमारी” नीरजा”