हम मुसाफिर है नई राहों के
“”हम मुसाफिर है नई राहों के””
असफलताएं तो तेरी,मात्र क्षणभंगुर है।
फूटा तेरे मस्तिष्क में,ज्ञान का अंकुर है।।
धैर्य की नाव कभी ना डूबे,अहंकार के जलधि में।
स्वयं को ना घेर कभी तू,संकीर्णता की परिधि में।।
हम मुसाफिर है नई राहों के,हर हाल में चलना होगा।
जाने कितने अवरोधक है,अविरल कल-कल बहना होगा।।
हिम्मत तेरा आभूषण है,मंजिल तेरी गहना होगा।
अंदर ज्वार भरा है,बाहर उसको लाना होगा।।
लक्ष्य का एक प्रतिबिंब,हो नित्य ही तेरी निगाहों में।
समाज की उपेक्षा कभी,बाधा ना बन पाए तेरी राहों में।।
तकरीरों से मन बहलाना,मेरा नया बहाना होगा।
हम मुसाफिर है नई राहों के,हर हाल में चलना होगा।।
सविता राजपुरोहित