नव वर्ष
सुदिन सुमंगल मय रहे मास बारहों खास |
जीवन में उल्लास हो पूरण हो हर आस ||
मंगल मय हो वर्ष यह ..घिरे न गम की छाँव |
प्रीत पले उर में सदा ,मंजिल पायें पाँव ||
नवल भास्कर उदित हो फैलाये उजियार |
मिटे तमस जग का सकल कहीं न हो अँधियार ||
सदगुण से परिपूर्ण हो अब मनु की संतान |
नफ़रत भ्रष्टाचार से मनुज रहे अंजान ||
©®मंजूषा श्रीवास्तव’मृदुल’