तुम्हें बहुत लिखना है
तुम्हें बहुत लिखना है
मुझे बहुतों को
तुम्हें भुख से मरने वालों की संख्या
मुझे कारण ।
तुम्हें बलात्कार का सरकारी आंकड़ा
मुझे हर उच्चारण ।
तुम्हें मरते किसानों की संख्या
मुझे निवारण ।
तुम्हारे लेख राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय
मेरे साधारण ।
— सूरज सिंह राजपूत