कविता

फिर मिलेंगे

लेकर इरादा
किया एक वादा
एक मुलाक़ात का
कुछ जज़्बात का
कि…, फिर मिलेंगे
कभी तो मिलेंगे…!
हम कहीं ढूंढते रहें
वह कहीं ढूंढते रहे
हमें वो नहीं मिला
उन्हें हम नहीं मिले
मिलता तो वो है
जो ठिकाने पर हो…!
फिर क्या…!
जिंदगी का उसूल
गया नहीं फ़िज़ूल
कि…,
वही याद रहेगा
जो याद करेगा
जो याद रहेगा
उसी को याद करेंगे
हम फिर मिलेंगे…!
— मनोज शाह ‘मानस’

मनोज शाह 'मानस'

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