बथुआ गीत [ बालगीत ]
गरम पराँठा बथुए वाला।
जाड़े में दे स्वाद निराला।।
गहरा हरा संग में धनिया।
खाती अम्मा खाती चनिया।।
मिर्च चटपटी सेंधा डाला।
गरम पराँठा बथुए वाला।।
बथुए में है लोहा , सोना।
पारा और क्षार मत खोना।।
गेहूँ के सँग उगता आला।
गरम पराँठा बथुए वाला।।
रायता बहुत स्वाद का होता।
नहीं खेत में कोई बोता।।
डालें इसमें न्यून मसाला।
गरम पराँठा बथुए वाला।।
अमाशय को ताकत देता।
कब्ज उदर की वह हर लेता।।
गैस रोग,कृमि,अर्श निकाला।
गरम पराँठा बथुए वाला।।
मूत्र रोग को हर लेता है।
यकृत निरोगी कर देता है।।
दाद,खाज खुजली पर ताला।
गरम पराँठा बथुए वाला।।
आँखों की सूजन या लाली।
बथुए ने नीरोग बना ली।।
‘शुभम’साग बथुआ हरियाला।
गरम पराँठा बथुए वाला।।
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम’