भावना
दिल द्रवित हो
अश्रु बन ठहर जाता है
अंखियों के कोर पर
कोई कहता दर्द है
कोई कहता खुशी
न यह दर्द है
न ही यह है खुशी
यह है दिल की अव्यक्त भावनाओं का वाष्पीकरण
जो औंस की बूंद की माफिक
झलक जाता है
नैनों के कोर पर.
दिल द्रवित हो
अश्रु बन ठहर जाता है
अंखियों के कोर पर
कोई कहता दर्द है
कोई कहता खुशी
न यह दर्द है
न ही यह है खुशी
यह है दिल की अव्यक्त भावनाओं का वाष्पीकरण
जो औंस की बूंद की माफिक
झलक जाता है
नैनों के कोर पर.