कविता

गण तंत्र दिवस

चलो गण तंत्र दिवस मनाएं
अपने वीर शहीदों की याद में शीश झुकाएं
क्या इस आजादी के जश्न में
गली गली गांव गांव
शहर बाजार सच में आजाद हो गया
वो सुनसान गलियों का ख़ौफ़
दिल को दहला देनें वाली आहट
सहमी सहमी पदचाप
एक भयावनी चीख
अपहरण बलात्कार
अपनों से पराए से
खूंखार दरिंदे से
क्या अस्तित्व बचा पानें में
आजाद हो गया
एढ़ियाँ घिस घिस कर
बदहवास एक दर से दुसरे दर तक
उम्मीदों के पुल बाँधते
डिगरियां धूल फांकते
जिंदगी को नई किरण दे पानें
में आजाद हो गया
नंगे बदन चिपके पेट
गिड़गिड़ाते दो हाथ
आज के भविष्य को बचा पानें में
आजाद हो गया
बढ़ती महँगाई के थपेड़ों से त्रस्त
जन जीवन को पटरी पर लाने के लिए
क्या देश आजाद हो गया
भ्रष्टाचार,घोटाले,लोलुपता की जंजीरों
में बँधे देश को खोखला करने वाले कर्णधार
सच्चरित्र निर्माण कर
नई दिशा दे पाएंगे
हम आजाद होते हुए भी गुलाम हैं
आजादी का जश्न
तभी बन पाएगा
जब आजादी के सही मायने
हर कोई समझ जाएगा
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995