बैरियों के बैर
बैरों से लदी बैरिया
झुक झुक जमी पर आ गईं
पर हैं जिनका इंतजार
वोह बचपन
लेकर हाथ में पत्थर अभी तक न आया
न जाने कहां खो गया है बचपन
जो मार कर पत्थर तोड़ता था मेरे बैर
और झपटता था मेरे टूटे हुए बैरों पर
छीन लेता था दोस्तों के हाथों से पके हुए बैर