कविता

मुसाफिर

जिंदगी के सफर में, हम सब हैं एक मुसाफिर
बचपन, जवानी, वृद्धावस्था के,
महत्वपूर्ण सोपानो को पार करते ,
मंजिल पर आगे बढ़ते जाना
अनवरत चलते जाना,
कुछ खट्टी मीठी यादों को साथ लिए,
कुछ भूली बिसरी बातों को साथ लिए,
अपने सफर पर बढ़ते जाना|
हम वह मुसाफिर हैं, जो अपने सफर पर आगे बढ़ते हुए ,
अपने जीवन के सभी सोपानो पर एक नया इतिहास रचते हैं
अपने पद चिन्हों को छोड़ते हुए,
जीवन की पगडंडी पर मंजिल की ओर बढ़ते हैं|

— रीता तिवारी “रीत”

रीता तिवारी "रीत"

शिक्षा : एमए समाजशास्त्र, बी एड ,सीटीईटी उत्तीर्ण संप्रति: अध्यापिका, स्वतंत्र लेखिका एवं कवयित्री मऊ, उत्तर प्रदेश