क्यों करती हो? भरोसा इन पापियों पर बोलो! कोई ना न छल दे! तुझको ऐसी नजर से तोलो! कब थमेगी? यह कहानी जो बना अभिशाप है! प्रेम को बदनाम करके कर रहे जो पाप हैं| संस्कारों को भुलाकर भूलकर परिवार को| भूल जाते क्यों बताओ? मां पिता के प्यार को| जिंदगी के इस सफर में […]
Author: रीता तिवारी "रीत"
दिल के रिश्ते
प्रीत के धागों से बंध ,जाते हैं दिल के रिश्ते| कभी सुख की छांव देते, बनके वह फरिश्ते| मन भ्रमर सा ढूंढता है,प्रीत की मीठी मिठास| प्रीत की एक बूंद पाकर, हो गई पूरी तलाश| जिंदगी की सांस बन, जाते हैं दिल के रिश्ते| कभी सुख की छांव देते, बनके वह फरिश्ते ||1|| दिल ही […]
मुक्तक
1-चांद कहने लगा चांदनी से सुनो! प्रीत में डूब कर प्यार के रंग बुनो! रंग बिखरा दो ऐसा जमी पर प्रिये! हर कली प्यार की धुन जो गाए सुनो! 2- चांदनी रात थी झिलमिलाता गगन, मस्त हो चल रही थी सुहानी पवन, याद तेरी लहर बनके ऐसी चली मुक्तक ना झुकी ये पलक जागते थे […]
रूढ़ियां
रूढ़िया जब बेड़िया, बन जाती हैं समाज में. जी नहीं सकता खुशी से, कोई भी आज में. रूढ़ियों को तोड़कर, नवसृजन कर समाज का. ले नया संकल्प कर लो, कायाकल्प आज का. जो समाज की प्रगति में, बाधा बनकर हैं खड़े. उन लकीरों को मिटाकर, नवसृजन करके बढ़े. नवसृजन से ही है खुल, जाते प्रगति […]
दोहरी मार फेसबुक का प्यार
सुबह-सुबह श्रीमती जी जब चाय लेकर आई ,दुखी आत्मा को फेसबुक पर व्यस्त देख झल्ला उठी, “क्या सुबह-सुबह मोबाइल लेकर बैठ जाते हो| मैं तो तुम्हारी इस आदत से तंग आ गई हूं |” वह बड़बड़ाते हुए अंदर चली गई और मैं दुखी आत्मा फिर से फेसबुक पर अभी कुछ सोच ही रहा था कि […]
मुसाफिर
जिंदगी के सफर में, हम सब हैं एक मुसाफिर बचपन, जवानी, वृद्धावस्था के, महत्वपूर्ण सोपानो को पार करते , मंजिल पर आगे बढ़ते जाना अनवरत चलते जाना, कुछ खट्टी मीठी यादों को साथ लिए, कुछ भूली बिसरी बातों को साथ लिए, अपने सफर पर बढ़ते जाना| हम वह मुसाफिर हैं, जो अपने सफर पर आगे […]
मां का आंचल
बड़ा सुकून देता है मुझे, मां का आंचल| जब भी मैं दुनिया की, उलझनों से परेशान होती हूं, संभाल लेता है मुझे, मां का आंचल| स्नेह, वात्सल्य, ममत्व से पोषित, वह मेरे जीवन में, नई ऊर्जा का संचार करता है| देखने में तो है वह, छोटा सा वसन, पर उसमें पूरा ब्रह्मांड समाया है| अद्भुत […]
नशा
धीरे-धीरे बना जहर, मानव को डसता जाता है यह नशा बना अभिशाप, जीवन को निगलता जाता है जब ले लेता आगोश में ये ,कुछ होश रहा ना जीवन का भूली सारी जिम्मेदारी, करता विनाश यह तन मन का यह नशा क्षीण करता जीवन, घर को करता है कलह पूर्ण दीमक के जैसे लकड़ी को ,करता […]
ओ सनम
तेरी यादें इतना क्यों सताती है? जब भी आती है मुझे रुलाती है| तेरे साथ जिए हर लमहे को याद करके, मेरी आंखें अनायास ही क्यों भर जाती है? मेरी आत्मा से रूह तक, बस तेरा ही नाम है| चाहा है तुझे इतना, जिसे कहते बेपनाह है| ताउम्र कभी मुझे पराया मत करना, क्योंकि तुझसे […]
कहर कोरोना का जारी
संकट छाया धरा पर देखो, कहर कोरोना का जारी क्षण क्षण पड़ता चला जा रहा, मानव जीवन पर भारी तांडव मचा रहा है विश्व में, कैसी आई महामारी पहले कभी नहीं देखी थी, कोरोना जैसी बीमारी छीन रहा जीवन का सुख यह, निगल रहा खुशियां सारी लाया है किस मोड़ पर सबको, बनके देखो लाचारी […]