गीतिका/ग़ज़ल

कोई न छल दे

क्यों करती हो? भरोसा इन पापियों पर बोलो!

 कोई ना न छल दे! तुझको ऐसी नजर से तोलो!
 कब थमेगी? यह कहानी जो बना अभिशाप है!
 प्रेम को बदनाम करके कर रहे जो पाप हैं|
 संस्कारों को भुलाकर भूलकर परिवार को|
 भूल जाते क्यों बताओ? मां पिता के प्यार को|
 जिंदगी के इस  सफर में यूं जहर ना घोलो!
 कोई न  छल दे तुझको ऐसी नजर से तोलो!||1||
 जन्म देकर के सवारी है तुम्हारी जिंदगी|
 महक जाएगा यह जीवन जब करोगे बंदगी|
 स्वर्ग को क्यों छोड़ कर तुम नर्क जाना चाहते|
 जिंदगी अनमोल इसको क्यों मिटाना चाहते|
 गैर की खातिर कभी मां बाप को ना भूलो|
 कोई ना छल दे तुझको ऐसी नजर से तोलो ||2||
प्रेम क्या होता है? पहले ठीक से ए जान लो!
 उच्चतम आदर्श राधा कृष्ण को तुम मान लो!
 प्रेम करने वाला कोई ना मिटाएगा तुम्हें
“रीत” कहती मर्यादा के साथ चाहेगा  तुम्हें |
मर्यादा और त्याग, समर्पण ,संस्कार ना भूलो!
 कोई ना छल दे तुझको ऐसी नजर से तोलो!||3||

रीता तिवारी "रीत"

शिक्षा : एमए समाजशास्त्र, बी एड ,सीटीईटी उत्तीर्ण संप्रति: अध्यापिका, स्वतंत्र लेखिका एवं कवयित्री मऊ, उत्तर प्रदेश