गीत/नवगीत

दिल के रिश्ते

प्रीत के धागों से बंध ,जाते हैं दिल के रिश्ते|

कभी सुख की छांव देते, बनके वह फरिश्ते|
मन भ्रमर सा ढूंढता है,प्रीत की मीठी मिठास|
प्रीत की एक बूंद पाकर, हो गई पूरी तलाश|
जिंदगी की सांस बन, जाते हैं दिल के रिश्ते|
कभी सुख की छांव देते, बनके वह फरिश्ते ||1||
दिल ही दिल में दिल की, सारी बात कह जाते|
प्रीत में बहकर सभी, जज्बात कह जाते|
सरगमों के तार बन, जाते हैं दिल के रिश्ते |
कभी सुख की छांव देते, बनके वह फरिश्ते||2||
“रीत” कहती  दिल के, रिश्तो से बना संसार|
दिल के रिश्ते ना हो ,तो कैसा लगे संसार?
जिंदगी की बाग महकाते, हैं दिल के रिश्ते|
कभी सुख की छांव देते, बनके वह फरिश्ते||3||
— रीता तिवारी  “रीत”

रीता तिवारी "रीत"

शिक्षा : एमए समाजशास्त्र, बी एड ,सीटीईटी उत्तीर्ण संप्रति: अध्यापिका, स्वतंत्र लेखिका एवं कवयित्री मऊ, उत्तर प्रदेश