कविता

ओ सनम

तेरी यादें इतना क्यों सताती है?

 जब भी आती है मुझे रुलाती है|

 तेरे साथ जिए हर लमहे को याद करके,

 मेरी आंखें अनायास ही  क्यों भर जाती है?

 मेरी आत्मा से रूह तक, बस तेरा ही नाम है|

 चाहा है तुझे इतना, जिसे कहते बेपनाह है|

 ताउम्र कभी मुझे पराया मत करना,

 क्योंकि तुझसे ही जीने की वजह,

 और चेहरे की मुस्कान है|

 तुम्हारा प्यार अनमोल है मेरे लिए,

 तुम्हारा साथ अनमोल है मेरे लिए|

 तेरी दूरियां भी मुझे गवारा नहीं होती,

 तेरी  आवाज भी अनमोल है मेरे लिए|

 तेरे प्यार  ने एक नई दुनिया दिखाई  मुझे,

 एक-एक पल कैसे बीत गया?

 बात भी समझ ना आई मुझे|

 एक-एक पल अब पहाड़ सा कटता है|

  “रीत” को यह प्रीत भी तूने समझाई थी मुझे|

 — रीता तिवारी ” रीत”

रीता तिवारी "रीत"

शिक्षा : एमए समाजशास्त्र, बी एड ,सीटीईटी उत्तीर्ण संप्रति: अध्यापिका, स्वतंत्र लेखिका एवं कवयित्री मऊ, उत्तर प्रदेश