कविता

मेरा बचपन

मेरा बचपन मुझे
बहुत याद आता है
बीते दिनों को
बहुत  तरसाता जाता हैl
ममता भरी मां की वह लोरी
दादी नानी के किस्से कहानी
कभी मुझको हंसाता
कभी मुझको रुलाता है।
मेरा बचपन मुझे
बहुत याद आता है
तुतलाती प्यारी सी
बातें सुहानी
इतराती सुनो हुई
सबकी जुबानी
कभी मुझको बताता
कभी मुझको सुनाता है
मेरा बचपन मुझे
मेरी प्यारी सी मस्ती
कितनी होती थी सस्ती
कभी तितली पकड़ना
कभी पेड़ों पर चढ़ना
छोटे खेलों से जी
बहलाता था
मेरा बचपन मुझे
बारिश में भीगना
और कश्ती बनाना
वो आपस में लड़ना
छुप छुप के सब को
खिझाना बहुत याद आता है।
मेरा बचपन मुझे
कभी रेत पर घरौदे बनाना
कभी होड़ में दौड़ लगाना
ना सुबह की खबर थी
ना शाम का ठिकाना।
मेरा बचपन मुझे
मां का कखगऔर
गिनती पढ़ाना
कभी गलती पर
दो झापड़ लगाना
भुलाए नहीं भूला जाता है।
मेरा बचपन मुझे
बहुत याद आता है
बीते दिनों को
बहुत तरसाता हैl
— वंदना यादव

वंदना यादव

वरिष्ठ कवयित्री व शिक्षिका,चित्रकूट-उत्तर प्रदेश