कविता

मेरे नसीब को लिखने वाला

खोल दो मेरे भी भाग्य का ताला
अय मेरे नसीब को लिखने वाला
क्यूं कर रहा है मेरे साथ पक्षपात
कर दो मेरे साथ भी  तूँ  इन्साफ

चैन से कोई महल में है सोता
कोई भाग्य तिमिर से दुःख में रोता
ना कर मेरे साथ तुँ नजर अंदाज
अय विधाता सुन लो मेरी फरियाद

किससे कहेँ मैं दुःखड़ा अब अपना
कौन सुनेगा ख्वाबों का मेरा सपना
हमने भी देखा था वो सब ख्वाब
जब तुँने सुनाया था मेरा   हिसाब

दिल से मेरी विनती तुम सुन ले
मेरे उपर रहम भी तुम  कर   दे
टुट ना जाऊँ मैं गम से दिन रात
ओ दुनियाँ के रखवाले ओ सरताज

तुँ सुनता है गरीबों की विनती
मेरी भी पढ़ लो मेरी लिखी अर्जी
मुझ पर भी रहम हो मेरा रखवाला
मैं नसीब का मारा हूँ अल्लाताला

हँसी खुशी से भर दो मेरी झोली
दुःख से निकाल दो मेरी टोली
दे देना हमें खुशहाली का वरदान
दे दो सुख की जग में हमें  दान

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088