तुम आती हो
जुगनूँ की तरहा ख्वाबों में
तुम आती हो
दिल के आँगन में
तेरी पायल की छम-छम रहती है
गीतों की सरगम हर लम्हा ये कहती है
धुन मैं छेडू तो सही
संग में तुम गाती हो
जुगनूँ की तरहा ख्वाबों में
तुम आती हो
चिड़िया चहकती है तेरे हाथों में
कोयल भी तो गाती है तेरी बातों में
बैठी रहती हो तुम मेरी पलकों पे
फिर फुर से तुम उड़ जाती हो
जुगनूँ की तरहा ख्वाबों में
तुम आती हो
बादल भी ढूंढे तुमको धरा पे
जाने न कोई तुम रहती कहां पे
बूँदे भिगोये मन को मेरे
तुम अंबर में घटा बन छा जाती हो
जुगनूँ की तरहा ख्वाबों में
तुम आती हो
चेहरे की चमक से तेरे फूल खिलते हैं
तेरे छुने भर से स्थिर तक हिलते हैं
रोशनी हो इस गरिबखाने की
इस सिसकते दिये की तुम बाती हो
जुगनूँ की तरहा ख्वाबों में
तुम आती हो
परवीन माटी