गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

अंजाम उसके हाथ है आगाज़ करके देख,
तू कांपते लबों से ही आवाज़ करके देख।

माना कि पर कटे हैं इरादे बुलन्द रख,
मंज़िल तुझे मिलेगी तू परवाज़ करके देख।

वो कितना राज़दार है इसका हो इंकशाफ,
इक बार उसको ख़्वाब में हमराज़ करके देख।

तादेर दोस्तों से नहीं दुश्मनी भली,
तू अपने दोस्तों का भी एज़ाज़ करके देख।

शायद तेरे नसीब के दाने हों उस तरफ,
पंछी ख़िलाफ़ ए सिम्त भी परवाज़ करके देख।

— नमिता राकेश

परवाज़ = उड़ान
इंकशाफ = प्रकट होना, पता चलना

तादेर = बहुत देर तक, पुराने
एज़ाज़ = सम्मान
सिम्त = की तरफ