प्रताड़ना का प्रतिकार करो
ज़माना चाहे कितना ही बदल जाए कुछ लोगों की गंदी मानसिकता कभी नहीं बदलती। आज भी महिलाएं हर क्षेत्र में उत्पीड़न का शिकार होती रहती है।
सिर्फ़ दैहिक बलात्कार ही नहीं होते महिलाओं के साथ मन को और आत्मा को झकझोर देने वाले हादसे कहीं न कहीं होते ही रहते है। स्कूल, घर, ऑफिस, बस, ट्रेन से लेकर राह चलते कहीं भी महिलाएं सुरक्षित नहीं। कुछ मर्दों के लिए महिलाएं इंसान नहीं भोगने की चीज़ मात्र होती है। मौका मिलते ही झपट लेते है।
ज़्यादातर कामकाजी महिलाओं पर किसी सहकर्मी या वरिष्ठ अधिकारी द्वारा यौन संबंध बनाने के लिए अनुरोध किया ही जाता है, या फिर उस पर ऐसा करने के लिए दबाव डाला जाता है। महिला की शारीरिक बनावट, उसके वस्त्रों आदि को लेकर भद्दी या अश्लील टिप्पणियां की जाती है। कामोत्तेजक कार्य-व्यवहार या अश्लील हरकतें और कामुक सामग्री का प्रदर्शन किया जाता है। द्विअर्थी टिप्पणी और महिला की इच्छा के विरुद्ध यौन संबंधी कोई भी अन्य शारीरिक, मौखिक या अमौखिक व्यवहार किया जाता है।
यदि गलती से किसी महिला के अपने वरिष्ठ या सह कर्मचारी से किसी समय निज़ी संबंध रहे हों लेकिन वर्तमान में महिला की सहमति न होने पर भी उस पर आंतरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डाला जाता है।
एसएमएस या फोन पर दोहरे अर्थ की बातें करके मानसिक दमन किया जाता है और अलग-अलग तरह के प्रस्ताव रखें जाते है, अगर महिला उनके प्रस्ताव को ठुकरा देती है तो उसके काम में रुकावटें खड़ी करके इतनी हद तक परेशान किया जाता है कि लड़कियों के नौकरी छोड़ने तक की नौबत आ जाती है और उनसे आगे बढ़ने के अवसर छिन जाते है। कई बार तो पीड़िता जान देने को भी मजबूर हो जाती है या कई बार उसकी प्रमोशन के लिए उसके शरीर को ही कारण बना दिया जाता है, क्योंकि वो लड़की है इसलिए उसकी काबिलियत नजरअंदाज़ कर दी जाती है।
पर हर महिला को ज्ञात होना चाहिए की
यौन उत्पीड़न की गंभीरता को देखते हुए महिलाओं को कानूनी सहयोग देने और उनके उत्पीड़न पर रोक लगाने के लिए कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न निवारण, निषेध एवं निदान अधिनियम लागू किया गया है, जिसका फ़ायदा उठाते महिलाएं ऐसे दरिंदों के ख़िलाफ़ कारवाई कर सकती है।
सहने की आदी मत बनिए, ऐसे लोगों की पहली गंदी हरकत पर ही हिम्मत करके उसके ख़िलाफ़ आवाज उठाकर अपनी सक्षमता का परिचय दे दीजिए, पुलिस में शिकायत दर्ज़ करवा दीजिए या किसी महिला मुक्ति मोर्चा संस्था से संपर्क करके दमन करने वालों को सबक सिखाईये, ताकि भविष्य में आपको तंग करने से पहले सौ बार सोचें।
आज वक्त आ गया है बेटियों को शारीरिक और मानसिक रुप से सक्षम बनाने का। दस बारह साल की उम्र में ही सारी समझ देते बेटी को लड़ने की तालीम देनी चाहिए। सही और गलत स्पर्श की पहचान देनी चाहिए और काम से या ट्यूशन में जा रही लड़कियों को कुछ स्प्रे और छोटा सा हथियार भी अपनी हैंड बैग में रखना चाहिए, ताकि कोई भी मुश्किल परिस्थिति में अपनी सुरक्षा में काम आ सकें।
— भावना ठाकर ‘भावु’