कविता

सदा आगे बढ़ना है

तारों से मुस्कुराना है सीखना
चाँद से अंधेरों में चमकना
सरिता से आगे बढ़ना है सीखना
हवा से स्वतंत्रता से  चलना

पक्षी से उन्मुक्त गगन में उड़ना सीखो
शेर से निर्भीक होकर जग में जीना
एरावत से संगठित हो   विचरना सीखो
चींटी से नित्य कर्म कर  जीवन से लड़ना

बगुला से ध्यान लगाना है सीखना
बाज से नभ से आगे   उड़ना
सागर से शांत हो रहना सीखो
सर्प से सर उठाकर  मुकाबला करना

सूरज से नित्य दमकना है सीखना
जल से जीव जन्तु को तृप्त करना
मधुकर से धन संचय      सीखो
बिच्छु से दुश्मन से विरोध जताना

तपस्वी से त्याग करना है सीखना
साधु से सज्जनता है     पाना
कलम से सच्चाई लिखना सीखो
ग्रंथ से ज्ञानी पंडित बनना

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088